जयति जय विश्वकर्मा विधाता
सकल सृष्टि के तुम निर्माता
तुमने जल थल पवन बनाए
अन्तरिक्ष में गगन समाए
उसमे सूरज चाँद लगाए
आकाश में तारे चमकाए
सब मंगल सुखों के हो प्रदाता
जयति जय विश्वकर्मा विधाता
रंग बिरंगे फूल खिलाए
नर-नारी और जीव बनाए
पतझड़ वर्षा बसंत सजाए
रथ,पुष्पक विमान चलाए
सज्जन दुर्जन सबका दाता
जयति जय विश्वकर्मा विधाता
यज्ञ योग विज्ञान रचाए
वेद ऋचाओं में हैं समाए
गिरि कन्दरा महल बनाए
धरती पर अन्ना उपजाए
सकल कष्टों के तुम हो त्राता
जयति जय विश्वकर्मा विधाता
अग्नि में ज्योति प्रगटाए
जन हित में आयुध बनाए
मेघों से पानी बरसाए
सकल विश्व का हित कराए
ललित ज्ञान हैं तुमसे पाता
सकल सृष्टि के तुम निर्माता
जयति जय विश्वकर्मा विधाता
ललित जी आपको भी विश्वकर्मा जी की जयंती पर शुभकामनायें । आप तो सचमुच एक अच्छे कार्य मे अपने आप को समर्पित कर रहे हैं । अपने क्षेत्र के इस श्रमजीवी वर्ग की ओर ध्यान देना ज़रूरी है । आप इस दिशा मे प्रयास्रत है जानकर अच्छा लगा । मेरा सहयोग रहेगा । -शरद कोकास ,दुर्ग छ.ग.
विश्वकर्मा जयंती पर शुभकामनायें.
bahut hi sahi lekhan aaj ke din ke naam......karm aur shram ki pooja
जिन मनुष्यों के श्रम से इस कायनात की रचना होती है...
पूरे विश्व के कर्मा इन विश्वकर्मा श्रमशीलों को सलाम..