चले जा रहे हैं वाहन
सड़क का सीना रौंदते हुए
चीरते हुए /निर्दयी होकर
ठीक राजनीती के तवे पर
कोरे झूठ की रोटियां
सेकने वाले नेता की तरह
निर्भय होकर,
कड़कती धुप में खड़ा है
सर छुपाने की चाह लिए
युग निर्माता मजदूर
जो गढ़ता है
आलिशान इमारतें
लेकिन
उसे सर छुपाने तक की जगह
नसीब नही
सिसकियाँ लेता हुआ
समाजवाद
ये पेट आश्वासन का भूखा नही
ये दो हाथ
किस्मत गढ़ते हैं देश की
सियासत के दलाल
खा जाते हैं "रोटियां"
हम गरीबों की
छोड़ जाते हैं
कोरा आश्वासन
हमारी भूख मिटाने के लिए
सबको अपना हक़
अपना अधिकार दिलाने की हसरत लिए
दम तोड़ रहा है
प्रजातंत्र
इन निष्ठुर हाथों में
आपका
शिल्पकार
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