आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
आओ प्रीत रंग हजार बिखेर दूं अबकी बार होली में
जागा है मधुमास मास आज
सुगंध लिए ॠतुराज आया
कान्हा ने भर ली पिचकारी
देख मन मोरा भी हरसाया
लेकर आया हूँ प्रीत अमिट रंग,भरके अपनी झोली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
परसा फ़ूला नीम भी बौराया
भंग रंग भंगीला मौसम आया
गुलाल से गाल रंगवा ले गोरी
कुंजन में भंवरा भी भंगियाया
लाया ठंडाई बदामी केसरिया भरके अपनी डोली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
अरे रंग तू लगवाले गोरिया
काहे को इतना शरमाती है
चार दिन है अब होलिया के
काहे को इतना इठलाती है
हाथ पकड़ कर झूम ले गोरी आए मजा ठिठोली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
महका चंदनिया मधुबन है
कोयल की कूक निराली
रंग भर ले तू पिचकारी में
सजनी होली खेलें आली
भीग जाए सब तन मन रंग से अबकी बार होली में
आओ चुनरिया सतरंगी कर दूँ अबकी बार होली में
सतरंगी इन्द्रधनुष छाया है रंगों का, अबकी बार होली में ...बहुत सुन्दर रचना
बेहतरीन होली रचना, भंवरे इस मास में कुछ ज्यादा ही भंग सेवन करने लगते हैं.
रामराम.
बहुत सुन्दर होली गीत
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बहुत ही सुन्दर रचना ...........शुभकामनायें
सुन्दर रचना