शिल्पकार. Blogger द्वारा संचालित.

चेतावनी

इस ब्लॉग के सारे लेखों पर अधिकार सुरक्षित हैं इस ब्लॉग की सामग्री की किसी भी अन्य ब्लॉग, समाचार पत्र, वेबसाईट पर प्रकाशित एवं प्रचारित करते वक्त लेखक का नाम एवं लिंक देना जरुरी हैं.
रफ़्तार
स्वागत है आपका

गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

हे शिल्पकार,

हे! शिल्पकार,
तेरी पीड़ा मेरी पीड़ा है,
मुझको व्याकुल करता तेरा करुण क्रंदन,
भीषण झंझावातों में कर सृजन निरंतर,
पाषाणों को भी दे रहा सांसों का स्पन्दन,
तेरा करता हूँ अभिनन्दन,
तेरी पीड़ा मेरी पीड़ा है।

तेरे कठिन परिश्रम से इस धरती पर,
कंकर-कंकर, लोहा, सोना, चांदी हो जाता,
अगर तेरा पशीना न गिरता इस भूमि पर,
यह सोंदर्य अनूप कहाँ से आता,

तुम ही कहो!
क्या किसान बिना हल नाखूनों से,
धरती का सीना चीर फसल उगा सकता है
क्या बिना हथियारों के कोई शासक,
दुश्मनों से अपना राज्य बचा सकता है?

क्या! तेरे बिना राम जी के तीर हठीले,
रावण का हृदय वेध सकते थे ?
क्या! अर्जुन के तरकश के तीर नुकीले,
कर्ण का मस्तक छेड़ सकते थे ?

क्या! बिना सुदर्शन चक्र के कृष्ण,
रन में पांचजन्य बजा सकता था ?
क्या! बिना गदा के भीम बहादुर,
लड़ने का साहस दिखा सकता था ?

बिना भाले के कैसे लड़ता राणा प्रताप,
वीर शिवा की तलवारों को शान कौन चढाता ?
अगर न होता चंदर बरदाई तो,
पृथ्वी राज शब्दभेदी निशाना कैसे लगाता ?

महल, दुमहले और आविष्कार भी,
तुने अपने हाथों किए अनूप हैं।
तेरे खून पसीने और लाशों पर ,
शताब्दियों राज करते रहे भूप हैं।

इस माटी का कण-कण जानता है,
आज तेरी इस खामोश कुर्बानी को,
तेरे श्रम से ही रक्षित मान भारत का
तेरे श्रम ने पावन बनाया है गंगा के पानी को,

तेरी भट्टी की विकराल ज्वाला ने ,
फौलादों को भी पिघला डाला है।
पहाड़ फोड़ कर तुने चट्टानों में ,
पथ नवीन बना डाला है।

तुने प्राण भरे हैं पाषाणों में,
मैं अक्षरों में नवजीवन पाता हूँ।
तेरी पीड़ा मेरी पीड़ा है इसलिए,
तेरा दर्द बाँटने चला आता हूँ।

जब तेरे घर में चूल्हा जलता है।
तभी पेट भर मैं भी खाता हूँ।
जब खो जाता हूँ पीड़ा की गहराई में,
तो भूखे पेट ही सो जाता हूँ।

तेरे पीड़ा मेरे पीड़ा है,
इस लिए तुझमे अपनापन पाता हूँ।
तुझे मजदूरी करते नही देख सकता,
इस लिए तेरादर्द सुनने चला आता हूँ।
हे शिल्पकार,
तेरी पीड़ा मेरी पीड़ा है।

आपका
शिल्पकार

शिल्पकार के मुख से

साथियों
काफी दिनों से सफर में होने के कारण आपको पत्र नही लिख सका, लोकसभा के चुनाव थे, परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आए। अब वर्तमान मनमोहन सरकार से हमे काफी उम्मीदें हैं हमारे शिल्पकार समाज को जो आजादी के ६० बरसों में नही मिल पाया उसे हमे इन पञ्च सालों में हासिल करना है। आपकी प्रतिक्रियाएं आमंत्रित है। आर्तिसन वेलफेयर ओर्गेनैजेशन का रास्ट्रीय सम्मलेन नागपुर में ११-१२ जुलाइ को रखा गया है। पूर्ण जानकारी अगले पत्र में होगी।
आपका
शिल्पकार
ललित शर्मा

 

लोकप्रिय पोस्ट

पोस्ट गणना

FeedBurner FeedCount

यहाँ भी हैं

ईंडी ब्लागर

लेबल

शिल्पकार (94) कविता (65) ललित शर्मा (56) गीत (8) होली (7) -ललित शर्मा (5) अभनपुर (5) ग़ज़ल (4) माँ (4) रामेश्वर शर्मा (4) गजल (3) गर्भपात (2) जंवारा (2) जसगीत (2) ठाकुर जगमोहन सिंह (2) पवन दीवान (2) मुखौटा (2) विश्वकर्मा (2) सुबह (2) हंसा (2) अपने (1) अभी (1) अम्बर का आशीष (1) अरुण राय (1) आँचल (1) आत्मा (1) इंतजार (1) इतिहास (1) इलाज (1) ओ महाकाल (1) कठपुतली (1) कातिल (1) कार्ड (1) काला (1) किसान (1) कुंडलियाँ (1) कुत्ता (1) कफ़न (1) खुश (1) खून (1) गिरीश पंकज (1) गुलाब (1) चंदा (1) चाँद (1) चिडिया (1) चित्र (1) चिमनियों (1) चौराहे (1) छत्तीसगढ़ (1) छाले (1) जंगल (1) जगत (1) जन्मदिन (1) डोली (1) ताऊ शेखावाटी (1) दरबानी (1) दर्द (1) दीपक (1) धरती. (1) नरक चौदस (1) नरेश (1) नागिन (1) निर्माता (1) पतझड़ (1) परदेशी (1) पराकाष्ठा (1) पानी (1) पैगाम (1) प्रणय (1) प्रहरी (1) प्रियतम (1) फाग (1) बटेऊ (1) बाबुल (1) भजन (1) भाषण (1) भूखे (1) भेडिया (1) मन (1) महल (1) महाविनाश (1) माणिक (1) मातृशक्ति (1) माया (1) मीत (1) मुक्तक (1) मृत्यु (1) योगेन्द्र मौदगिल (1) रविकुमार (1) राजस्थानी (1) रातरानी (1) रिंद (1) रोटियां (1) लूट (1) लोकशाही (1) वाणी (1) शहरी (1) शहरीपन (1) शिल्पकार 100 पोस्ट (1) सजना (1) सजनी (1) सज्जनाष्टक (1) सपना (1) सफेदपोश (1) सरगम (1) सागर (1) साजन (1) सावन (1) सोरठा (1) स्वराज करुण (1) स्वाति (1) हरियाली (1) हल (1) हवेली (1) हुक्का (1)
hit counter for blogger
www.hamarivani.com