आज सुबह सोचा की एक कविता या गीत फिर लगाता हूं,लेकिन तभी मेरे सामने मेरी बनाई हुई एक पेंटिंग आ गई, सोचा की आज नयी शुरुआत करूँ और इसे ही पोस्ट पर लगा दूँ,काफी कलम घसीटी हो गई जरा इसे विश्राम दे कर ब्रश से भी काम लेना चाहिए, नहीं तो वह आलसी हो जायेगी ज्यादा आराम करने के कारण,सो प्रस्तुत हैं एक चित्र, इसे मैंने एक्रेलिक कलर से बनाया हैं, लेकिन इसे बनाने में ब्रश का उपयोग नहीं किया,इसे बनाने में ब्रस के जगह सेविंग ब्लेड का इस्तेमाल किया हैं, कभी कभी रंगों से भी खेलने का मन करता हैं,रंग मुझे अपनी ओर खींचते हैं और अपने आप को रोक नहीं पाता.इसका ही परिणाम हैं की कुछ नया सृजन हो जाता हैं,
आपका
शिल्पकार,
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ललित जी
क्या कहने आपके तस्वीर के/बहुत ही सुन्दर है आपका सोच/बधाई!
dhanyavad omji, steshthajan yogyata ki pahchan karte hai,apko punh danyavad ye hi sneh hona chahiye,