रवि कुमार की सृजनशीलता को अर्पित
हर तरफ भेड़ियों का राज हो गया है
शेर क्यों शिकार करके सो गया है
सब ढूंढ़ते हैं कोई तो बचायेगा हमें
जो थे रहनुमा उनका पता खो गया है
कब्र से लाशें गायब होती रही रात भर
अब सड़कों से आदमी गायब हो गया है
रहते थे कभी चैन से अमन से हम लोग
खून की फसलें कौन सड़कों पे बो गया है
कल कातिल की तलाश में आए थे सिपाही
पता नही कौन सड़क से धब्बे धो गया है।
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
सराहनीय कृति
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Tech Prevue: तकनीक दृष्टा
बढिया रचना...
भेड़ियों को लानते भेजने के बाद भी...
आपने शेर साहेब और उनके शिकार की स्वीकार्यता बनाए रखी है...
‘पता नहीं कौन सड़क से धब्बे धो गया है’...