बाबुल मोरी डोली सजाओ
सारी सहेलियां ब्याह गयी हैं,मुझको भी परणाओ
बाबुल मोरी डोली सजाओ
हाथ पीले कर दो मेरे अब तुम ना ये भार रखो
मैं भी पहनू लाल चुनरिया नौ लखा तुम हार करो
नाक में नथली पग में पायल मुझको भी पहनाओ
बाबुल मोरी डोली सजाओ
मेरे फेरों के मंगल मंडप में सुन्दर फूल सजेंगे
मेरी मांग में भी रंग-रंग के चाँद सितारे जडेंगे
मेरा घर भी हो नंदनवन साजन से मिलवाओ
बाबुल मोरी डोली सजाओ
साजन से मिलेगी सजनी तब नंदनवन महकेगा
चन्दन की खुश्बू से सारा तब उपवन महकेगा
मैं भी होऊं सदासुहागन अब मेरी बरात बुलाओ
बाबुल मोरी डोली सजाओ
होके बिदा मैं तेरे घर से सबकी लाज रखूंगी
तेरे माथा ऊँचा होगा बाबुल ऐसा काम करूंगी
शुभ घडी बिदा की आई अब डोली कहार उठाओ
बाबुल मोरी डोली सजाओ
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
bahut badhiya...
kanchan
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तेरे माथा ऊँचा होगा बाबुल ऐसा काम करूंगी
bahoot khoobsurat kavita hai
बहुत सुंदर और प्यारा गीत !!
बहुत खुब लिखा है आपने। हर एक पंक्ति लाजवाब है। इस शानदार रचना के लिए बहुत-बहुत बधाई.........
बहुत सुन्दर गीत है शुभकामनायें
बधाई के लिए बहुत-बहुत बधाई
it is very beautiful and touching poem and give many many wishes to poet to write many other poems to give us more knowledge and pleaser to read this type of meaningful poems and again well wishes to you
this is very big pleasure to read this type of stupendous poem. this is very beautiful song and very emotional also and i give many wishes to poet to write this type of meaningful poem that we can read increase our attraction towards poetry and again well wishes to you.