तुम्हारे हर सवाल का आज जवाब दूंगा
पूछो तुम मै एक एक का हिसाब दूंगा
बहुत सवाल खड़े किये तुने मेरे प्यार पे
एक बार नहीं हजार बार जवाब दूंगा
रुको भागो मत सब तुम सुनकर जाओ
जब चाहा है तुम्हे प्यार बेहिसाब दूंगा
क्यों शक किया है तुमने मेरे प्यार पर
एक गजल क्या प्यार की किताब दूंगा
यूँ इल्जाम ना लगाओ मेरे प्यार पर
चाहत में वफ़ा का तोहफा नायाब दूंगा
आपका
शिल्पकार
(फोटो हरविंदर गूगल से साभार)
क्यों शक किया है तुमने मेरे प्यार पर
एक गजल क्या प्यार की किताब दूंगा
अच्छी प्रस्तुति ललित भाई। चलिए मैं भी तुकबंदी की कोशिश करता हूँ आपकी ही तर्ज पर-
तेरी थी चाह दीपक की अंधेरा को मिटाना है
मेरी चाहत कि मैं तुमको पूरा आफताब दूँगा
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
क्यों शक किया है तुमने मेरे प्यार पर
एक गजल क्या प्यार की किताब दूंगा
यूँ इल्जाम ना लगाओ मेरे प्यार पर
चाहत में वफ़ा का तोहफा नायाब दूंगा
जवाब में इतने खुबसूरत तोहफे देंगे ...तो तोहमतें तो लगाई ही जाएँगी ..!!
अच्छी प्रस्तुति.
लिखा है लाजवाब तो जनाब
एक टिप्पणी भी जरूर दूंगा।
सुन्दर