चले जा रहे हैं वाहन
सड़क का सीना रौंदते हुए
चीरते हुए /निर्दयी होकर
ठीक राजनीती के तवे पर
कोरे झूठ की रोटियां
सेकने वाले नेता की तरह
निर्भय होकर,
कड़कती धुप में खड़ा है
सर छुपाने की चाह लिए
युग निर्माता मजदूर
जो गढ़ता है
आलिशान इमारतें
लेकिन
उसे सर छुपाने तक की जगह
नसीब नही
सिसकियाँ लेता हुआ
समाजवाद
ये पेट आश्वासन का भूखा नही
ये दो हाथ
किस्मत गढ़ते हैं देश की
सियासत के दलाल
खा जाते हैं "रोटियां"
हम गरीबों की
छोड़ जाते हैं
कोरा आश्वासन
हमारी भूख मिटाने के लिए
सबको अपना हक़
अपना अधिकार
दिलाने की हसरत लिए
दिलाने की हसरत लिए
दम तोड़ रहा है
प्रजातंत्र
इन निष्ठुर हाथों में
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
वाह जी शिल्पकार...जबरद्स्त शिल्पकारी!!
अभिनय करने में यहाँ नेता बहुत प्रवीण।
भाषण, आश्वासन सहित खींचे चित्र नवीन।।
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
मुसीबत की जड़ यह गरीब ही तो है जो कोरे आश्वासनों पर ही उन्हें सत्ता की कुंजी सौंप देता है, बेडा गरक तो इसी ने पहले किया !
दम तोड़ रहा है
प्रजातंत्र
इन निष्ठुर हाथों में
आश्वासन के सम्बल मिल तो रहे है, इन भूखे नंगो को और क्या चाहिये.