देखो!तुम मुझे देखो
तुमने मुझे क्या दिया ?
एक पूनम की रात को
अमावश बना दिया
एक जिन्दा लाश बना दिया
अब ये पलके झपकती नही
नैनों में नीर है
पर झरता नहीं
कदमो को चलने का संबल देती हूँ
पर वो चलते नहीं
नयन शुन्य में तलाश करते हैं
त्तुम्हे अनवरत/कहाँ हो तुम
हाँ मै एक जिन्दा लाश हूँ
सदियों से ये आँखें
तुम्हारी बाट देखती हैं
देखो इन बिखरे हुए कुन्तलों को
संवारना चाहती हूँ मैं
ये कांपते हुए अधर कुछ
कहना चाहते हैं तुमसे
सिर्फ मै ही दोषी नहीं हूँ
उस दिन की
तुम भी थे सहभागी
फिर क्यों?
फिर क्यों? सिर्फ मुझे
शापित शिला बना दिया
हाँ!मैं ही वो तुम्हारी
हाँ!वो ही हूँ मै सुमुखी
जिसे तुमने त्याग दिया
अपने अहम की
तुष्टि के लिए
पूछते हो मै कौन हूँ?
तुम! पूछते हो मै कौन हूँ ?
अब मुझे भी भूल गए ?
हाँ ! मैं वही अहिल्या हूँ
हाँ ! मैं वही अहिल्या हूँ
आज मै तुम्हे शाप देती हूँ !!!!!!!
आज मै तुम्हे शाप देती हूँ !!!!!!!!!!!!!!!
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
अहिल्या का दर्द बयां करती सुन्दर कविता ...
dhanyvad rakesh ji,aapka sneh hi hamari axay punji hai,aate rahiye
अहिल्या का दर्द और व्यथा खूब
बयान हो रही है ...!!
धन्यवाद वाणी गीत जी,आपने अहिल्या के दर्द को समझा,आपका स्वागत है,
ये कांपते हुए अधर कुछ
कहना चाहते हैं तुमसे
सिर्फ मै ही दोषी नहीं हूँ
उस दिन की
तुम भी थे सहभागी
फिर क्यों?
फिर क्यों? सिर्फ मुझे
शापित शिला बना दिया
बहुत दर्द है माता अहिल्या के ह्रदय मे,
बहुत सुन्दर ढँग से उकेरा है आपने
त्तुम्हे अनवरत/कहाँ हो तुम
हाँ मै एक जिन्दा लाश हूँ
सदियों से ये आँखें
तुम्हारी बाट देखती हैं
देखो इन बिखरे हुए कुन्तलों को
संवारना चाहती हूँ मैं
बहुत ही सुन्दर भाव है
पूछते हो मै कौन हूँ?
तुम! पूछते हो मै कौन हूँ ?
अब मुझे भी भूल गए ?
हाँ ! मैं वही अहिल्या हूँ
हाँ ! मैं वही अहिल्या हूँ
अहिल्या का आक्रोश इन पंक्तियों मे झलकता है
बधाई
धन्यवाद सुनील कौशल जी,आपने अहिल्या के दर्द को समझा,आपका स्वागत है,
धन्यवाद मास्टर जी,आपने अहिल्या के दर्द को समझा,आपका स्वागत है,
धन्यवाद देव जी,आपने अहिल्या के दर्द को समझा,आपका स्वागत है,
murjhayi hui aankhion mein sunhara khaob dekha tha jise poora karne ek blog dekha tha
chand se uski chandni choorane ka khaob dekha tha chakoor ki tarah bebas ek albas dekha tha
ek hasrat thi khaoobon ko hakikat mein badalne ki armaan,armaan hakikat ke parwan chadte dekha tha.
koi shaks is duniya mein bedil ban kar nahi aata
chetan ho ya ki jad ho pyar hi hai usko bhata
pyar ki khatir hi aahilya ne sahe har julmwar
par nafrat naagfani si bani uske jivan ka hissar
arvind ji aap bhi kavita kahte hain hame malum na tha,par jiske hriday me payar janam lekar palta fulta hai avashya hi vo kavit kahta hai, aapka svagat hai
alpna ji aapka bhi svagat hai shilpkar ki dyodhi par,aapne bhi bahut achchhi bat kahi hai,dhanyavad,
aapaka Swagat hai nice .