पनघट मैं जाऊं कैसे, छेड़े मोहे कान्हा
पानी नहीं है, जरुरी है लाना
बहुत हुआ मुस्किल, घरों से निकलना
पानी भरी गगरी को,सर पे रख के चलना
फोडे ना गगरी, बचाना ओ बचाना
पनघट मैं जाऊं कैसे,छेड़े मोहे कान्हा
पानी नहीं है, जरुरी है लाना
गगरी तो फोडी कलाई भी ना छोड़ी
खूब जोर से खींची और कसके मरोड़ी
छोडो जी कलाई, यूँ सताना ना सताना
पनघट मैं जाऊं कैसे,छेड़े मोहे कान्हा
पानी नहीं है, जरुरी है लाना
मुंह नहीं खोले बोले उसके नयना
ऐसी मधुर छवि है खोये मन का चयना
कान्हा तू मुरली बजाना ओ बजाना
पनघट मैं जाऊं कैसे,छेड़े मोहे कान्हा
पानी नहीं है, जरुरी है लाना
आपका
शिल्पकार
फोटो गूगल से साभार
बहुत कठीन है डगर पनघट की।