जीवन है मेरा
मर जाता
तेरे बिना मैं
तू मेरी महबूबा है
प्रियतमा है
सब कुछ
नदिया है
आशा-निराशा
रोना-हँसना
सूख-दुख
बहा ले जाती है
अपने साथ
सब कुछ
सागर है
गाली,झूठ
थप्पड़
माँ का दुःख
समा लेती
अपने अन्दर
सबकुछ
गोल है
समय का चक्र
गाड़ी का पहिया
कुम्हार का चाक
सूरज का गोला
सबकुछ
छलना है
महाठगनी है
लेती है
अपने बदले
इज्जत
हर लेती है
सब कुछ
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
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