मुझे अब नंगे, पाँव ही चलने दो,
जूतियों का इंतजार, अब कौन करेगा,
तपती दुपहरी को, और भी चढ़ने दो,
छतरियों का इंतजार,अब कौन करेगा।
पाँव के छालों को, और भी बढ़ने दो,
मरहम का इंतजार, अब कौन करेगा।
आँखों से आंसुओं को,और भी बह जाने दो,
पोंछने का इंतजार, अब कौन करेगा।
मुझे अब तुम जिन्दा ही जला डालो,
मौत का इंतजार अब कौन करेगा।
आपका
शिल्पकार
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