जागो मेरे प्यारे धरती पुत्रों तुम
राष्ट्र हित में कुछ काम करो
गणतंत्र दिवस की पावन बेला में
देश हित में कुछ संकल्प करो
भीष्म प्रतिज्ञा बिना नही देखो
होता है महान काम कोई
जब तक आगे ना आये तो
होता नहीं बलिदान कोई
सुसुप्त जाति की मृत रगों में
तुम प्राणों का संचार करो
गणतंत्र दिवस की पावन बेला में
देश हित में कुछ संकल्प करो
एकलव्य जैसी निष्ठा से
हिमालय भी झुक जाता है
सागर भी है रह बताता
बल पौरुष बढ़ जाता है
प्रेरणा लेंगे जन गण तुमसे
अपना लक्ष्य संधान करो
गणतंत्र दिवस की पावन बेला में
देश हित में कुछ संकल्प करो
महावीरों की धरती पर पैदा
प्राणवान वीर ही होते हैं
जीवन उनका धन्य है जो
देश समाज हित कुछ खोते हैं
अपने तन-मन-धन का
निश्वार्थ भाव से दान करो
गणतंत्र दिवस की पावन बेला में
देश हित में कुछ संकल्प करो
बनो बलशाली योद्धा तुम
इस धरा को स्वर्ग बना दो
राह रोकें हजार रुकावटें
अपने पुरुषार्थ से उसे हटा दो
महावीरों की इस धरती से
गद्दारों का जीना हराम करो.
गणतंत्र दिवस की पावन बेला में
देश हित में कुछ संकल्प करो
आपका
शिल्पकार
चित्र गुगल से साभार
बहुत उम्दा ललित भाई! बेहतरीन ओजपूर्ण आह्वान!!
गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ
राष्ट्रहित का आह्वान करती सुन्दर अभिव्यक्ति!
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!
गणतंत्र के साठ साल पूरे होने पर यही कामना कि राष्ट्रीय एकता का पैगाम दूर तलक तक पहुंचे और विकास की एक किरण आखिरी पायदान पर खड़े शख्स के चेहरे पर भी मुस्कान लाए...
जय हिंद...
उम्दा,गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें .
सुन्दर रचना । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
बेहद ओजस्वी रचना.
रामराम.
usee tarah ka chintan banaa rahe. bhaav prakhar rahe. gantantra amar rahe......
बहुत सुन्दर रचना!!
आपको भी गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाऎँ!!!!
उत्साह हो ऊर्जा हो हममे और दिल में हो उमंग
जोश भी हो जश्न भी हो जिद्द हो जीतने की जंग
और इस संकल्प के साथ
गणतंत्र दिवस की पावन बेला में
देश हित में कुछ संकल्प करो
आपस की खींचा तानी में
जिन्दगी यूँ ही व्यर्थ न करो
......... बहुत बढ़िया ललित भाई
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाऎँ
बहुत सुंदर रचना