बढ़िया :)
रश्मि किरणों को इस विजय की बधाई...राहत का अहसास!!ये गुलाब के फूल जरा अलग कर लें...कविता का महौल और मौसम गड़बड़ा देते हैं. :)
बहुत खूब ललित जी , हर रात के बाद एक सुनहली भोर आती है
छोटे छोटे लोग जब एक हो जाते हैं तभी क्रांति हो जाती है फ़िर कोहरे की तो औकात क्या है?रामराम.
गुलाबों की बारिश आज कुछ ज्यादा ही तेज है.:)रामराम.
सुन्दर क्षणिका!बधाई!
बहुत सुंदर रचना जी
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बढ़िया :)
रश्मि किरणों को इस विजय की बधाई...राहत का अहसास!!
ये गुलाब के फूल जरा अलग कर लें...कविता का महौल और मौसम गड़बड़ा देते हैं. :)
बहुत खूब ललित जी , हर रात के बाद एक सुनहली भोर आती है
छोटे छोटे लोग जब एक हो जाते हैं तभी क्रांति हो जाती है फ़िर कोहरे की तो औकात क्या है?
रामराम.
गुलाबों की बारिश आज कुछ ज्यादा ही तेज है.:)
रामराम.
सुन्दर क्षणिका!
बधाई!
बहुत सुंदर रचना जी