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यही होता है,ये सरकारी साजिश है कि भुख से मरने के बाद उसके आस पास कुछ खाने की चीजें बरामद करवाओ जिस्से ये सिद्ध हो जाए कि ये मौत भुख से नही हुई भुख से मौत को झुठा साबित करने के हठकण्डों पर आपने जोर दार चोट की है
संवेदनशील रचना। बधाई।
1.वो चावल का दाना भी जमाखोर लाला ले गया...
2.वो ज़रूर एयर इंडिया का विमान होगा...
जय हिंद...
बहुत कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने .
सर शिल्प अद्भुत है दोनों कविताओं का , मुझे तो लगता है कि आपसे टरेनिंग ले के कुछ मैं भी ठेलूं ...
ऐसे भी बहुत शक्स है इस भीड़ भरी दुनिया में...बढ़िया भाव..
छोटी छोटी कविताएं, बड़ी बड़ी बातें।
बहुत लाजवाब कल्पनाशीलता है आपमें.
रामराम.
वह
भूख से
मर गया
तलाशी में
उसके थैले से
चावल निकला........
गागर में सागर.
कम शब्दों मे बडी बडी बातें? बहुत खूब शुभकामनायें
"वह
भूख से
मर गया
तलाशी में
उसके थैले से
चावल निकला........"
दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम ...
bahut gahri baat kah di.
ललित भाई बहुत गहरी बात कह दी आप ने इस कविताओ मे
कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बात कह डाली आपने.....
बहुत खूब्!!
यही होता है,ये सरकारी साजिश है कि भुख से मरने के बाद उसके आस पास कुछ खाने की चीजें बरामद करवाओ जिस्से ये सिद्ध हो जाए कि ये मौत भुख से नही हुई भुख से मौत को झुठा साबित करने के हठकण्डों पर आपने जोर दार चोट की है
अच्छी रचना ....
बहुत खूब ललित भाई. क्या बात है आपकी कवितायें बिल्कुल नये रूप में सामने आ रही है. अच्छा लग रहा है आपकी इस तरह की कविताओं को पढ़कर.
कहीं उलटवासी तो कहीं सुलटवासी ..
असरदार है अंदाज ..
....... आभार ,,,