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रफ़्तार
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गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

दो कवितायेँ 




(१)
वह 
भूख से
मर गया 
तलाशी में
उसके थैले से  
चावल निकला


(२)
उसने 
उड़ने के लिए
जोर लगाया 
उड़ ना सका
 पंख
गिरवी थे 


आपका 
शिल्पकार






Comments :

17 टिप्पणियाँ to “ ”
मनोज कुमार ने कहा…
on 

संवेदनशील रचना। बधाई।

Khushdeep Sehgal ने कहा…
on 

1.वो चावल का दाना भी जमाखोर लाला ले गया...

2.वो ज़रूर एयर इंडिया का विमान होगा...


जय हिंद...

Kusum Thakur ने कहा…
on 

बहुत कम शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी आपने .

अजय कुमार झा ने कहा…
on 

सर शिल्प अद्भुत है दोनों कविताओं का , मुझे तो लगता है कि आपसे टरेनिंग ले के कुछ मैं भी ठेलूं ...

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…
on 

ऐसे भी बहुत शक्स है इस भीड़ भरी दुनिया में...बढ़िया भाव..

Kulwant Happy ने कहा…
on 

छोटी छोटी कविताएं, बड़ी बड़ी बातें।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
on 

बहुत लाजवाब कल्पनाशीलता है आपमें.

रामराम.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…
on 

वह
भूख से
मर गया
तलाशी में
उसके थैले से
चावल निकला........
गागर में सागर.

निर्मला कपिला ने कहा…
on 

कम शब्दों मे बडी बडी बातें? बहुत खूब शुभकामनायें

Unknown ने कहा…
on 

"वह
भूख से
मर गया
तलाशी में
उसके थैले से
चावल निकला........"

दाने दाने पे लिखा है खाने वाले का नाम ...

vandana gupta ने कहा…
on 

bahut gahri baat kah di.

राज भाटिय़ा ने कहा…
on 

ललित भाई बहुत गहरी बात कह दी आप ने इस कविताओ मे

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…
on 

कितने कम शब्दों में कितनी गहरी बात कह डाली आपने.....
बहुत खूब्!!

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…
on 

यही होता है,ये सरकारी साजिश है कि भुख से मरने के बाद उसके आस पास कुछ खाने की चीजें बरामद करवाओ जिस्से ये सिद्ध हो जाए कि ये मौत भुख से नही हुई भुख से मौत को झुठा साबित करने के हठकण्डों पर आपने जोर दार चोट की है

महेन्द्र मिश्र ने कहा…
on 

अच्छी रचना ....

Unknown ने कहा…
on 

बहुत खूब ललित भाई. क्या बात है आपकी कवितायें बिल्कुल नये रूप में सामने आ रही है. अच्छा लग रहा है आपकी इस तरह की कविताओं को पढ़कर.

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…
on 

कहीं उलटवासी तो कहीं सुलटवासी ..
असरदार है अंदाज ..
....... आभार ,,,

 

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