शासकीय अधिकारों का विकेन्द्री करण हमेश ऐसी समय खड़ी करता है कि एक छोटा सा काम भी होना कितना कठिन हो जाता है. एक आम आदमी तो थक कर घर में ही बैठ जाता है. एक कविता है आपसे आशीर्वाद चाहूँगा.
राजा की जान
तोते में
तोते की जान
मैना में
मैना की जान
कौवे मे
कौवे की जान
घोंसले में
घोंसले में सांप है
सबकी जान
अटकी पड़ी है
ये राजनितिक
संकट की घडी है
शिल्पकार,
बहुत जबरदस्त!! बहुत उम्दा रचना...नोट हो गई!!
गजब कर दिया भाई, बहुत ही उम्दा रचना.
रामराम.
और घड़ी दीवार पर टंगी है :)
खतरनाक स्थिति है घोंसले में सांप है.
नेवले को बुलाओ भाई.
वाह वाह बहुत खूब
"घोंसले में सांप है"
सांप तो फिर भी उन्हें छेड़ने से डसते हैं
आज के raaj neetigya तो desh ki
durdasha door karne के bajaay
gulchharre udate aur hanste हैं.
क्या बात है जी ,बहुत सुंदर
आजकल के हालात का सटीक चित्रण!
क्या बात है!
..नितिक को ..नीतिक कर लें।