आज एक गजलनुमा रिठेल कर रहा हूँ. कृपया आपका आशीर्वाद चाहूँगा
हर तरफ भेड़ियों का राज हो गया है
मासूम आदमी ही शिकार हो गया है
ढूंढ़ते हैं कोई तो बचायेगा उन्हें
रहनुमा थे उनका पता खो गया है
कब्र से लाशें गायब होती रही
तुम्हारा जमीर कहाँ सो गया है
रहते थे कभी चैन से अमन से लोग
खुनी फसलें कौन राह में बो गया है
कातिल की तलाश में आए सिपाही
कौन सड़क से खुनी धब्बे धो गया है।
आपका
शिल्पकार
(फोटो गूगल से साभार)
हर तरफ भेड़ियों का राज हो गया है
मासूम आदमी ही शिकार हो गया है
vaah-vaah.
लाजबाब गज़ल
कब्र से लाशें गायब होती रही
तुम्हारा जमीर कहाँ सो गया है
मेरे पास शब्द नहीं हैं इस अभिव्यक्ति का आभार प्रकट करने के लिए। लाजवीब।
बहुत सटीक लिखा है !!
"हर तरफ भेड़ियों का राज हो गया है
मासूम आदमी ही शिकार हो गया है"
बिलकुल सही कहा है ....!
रहते थे कभी चैन से अमन से लोग
खुनी फसलें कौन राह में बो गया है
-बहुत खूब ललित भाई...
हर तरफ भेड़ियों का राज हो गया है
मासूम आदमी ही शिकार हो गया है
वाह ललित भाई जबाब नही बहुत सुंदर रचना
टेवना पथरा धरे हस गा भाई तै ह. छका छक कटई चलत हे.
विद्रुपो पर प्रहार करती सुन्दर कविता के लिये धन्यवाद.
रहते थे कभी चैन से अमन से लोग
खुनी फसलें कौन राह में बो गया है
ललित जी एक बेहतरीन रचना !
बहुत बढिया ललित बाबू।
बहुत लाजवाब ललित जी.
रामराम.
ये ब्लाग के दाहिने कोने पर उपर क्या जनरल याह्या खान की तस्वीर लगा रखी है?:)
रामराम.
वाह ललितजी शानदार काचा काट दिया !!!