यह गजल २४ जनवरी १९८५ को लिखी गई थी.आज आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ.
मेरे प्यार को तुम ज़माने से छिपा कर रखना
इत्र की खुशबु की तरह सांसों में बसा कर रखना
कहते हैं लोग पढ़ लेते हैं दिल का हाल आँखों से
हया का परदा इन आँखों पर गिरा कर रखना
इस ज़माने ने क्या दिया है शिवा रुसवाई के
इसकी नज़रों से हर बात छिपा कर रखना
चलते हुए तुम्हारे कदम डगमगा सकते हैं
कदमो को मंजिल की आस बंधाये रखना
रो रो के आज जो सुन रहे हैं हँसेंगे कल यही
दिल के हर दर्द को होठों से दबा कर रखना
झुलस ना जाये कहीं प्यार का ये सुमन"ललित"
तेज नफ़रत की आंधियों से इसे बचाकर रखना
आपका
शिल्पकार
इतनी पुरानी रचना और ये तेवर? कमाल है ललित भाई। वाह वाह।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
कहते हैं लोग पढ़ लेते हैं दिल का हाल आँखों से
हया का परदा इन आँखों पर गिरा कर रखना
-गजब ढहा दोगे भाई..काहे इत्ता प्रीकॉशन...मस्त गज़ल!!
बहुत उम्दा बस शिवा को सिवा कर दें और ऐसा भी काहें घबरा रहे हैं !
कहते हैं लोग पढ़ लेते हैं दिल का हाल आँखों से
हया का परदा इन आँखों पर गिरा कर रखना
बहुत खूब शुभकामनायें
old is gold..laazwaab rachana,,purani peti khol dijiye kuch aur bhi behtareen rachnaye mil jayegi..aabhar..
वाह !
बहुत सुन्दर रचना , शुभकामनाएं !!
"इत्र की खुशबु की तरह सांसों में बसा कर रखना"
हमारी साँसों में आज तक वो
हिना की खुशबू महक रही है
लबों पे नगमें मचल रहे हैं
नज़र से मस्ती झलक रही है
अय हय 25 साल से बचा कर रखा है इस खुशबू को ..क्या बात है ।
ललित भाई,
आज राज़ खोल ही दिया...दिल और गज़ल के मामले में आप पुराने पापी हैं...
जय हिंद...
Achhi Rachna....
par aap hain kahan..?
main to paan ki dukaan par khada hoon....
वाह वाह का बात है शर्मा जी ...का का न कह दिए आज तो ...सुभान अल्लाह
कहते हैं लोग पढ़ लेते हैं दिल का हाल आँखों से
हया का परदा इन आँखों पर गिरा कर रखना
रो रो के आज जो सुन रहे हैं हँसेंगे कल यही
दिल के हर दर्द को होठों से दबा कर रखना
ek bahut hi khoobsoorat dil ko chhoo lene wali rachna..........waah waah waah!
pls visit at://vandana-zindagi.blogspot.com
bhaai kamaal kar diya
man prasann ho gaya
__achhi rachna !
... बेहद प्रसंशनीय गजल, दो शेर तो कमाल के हैं !!!!!