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मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ.!!

मित्रों आज मैं आपको भारत के प्रसिद्द कवि एवं पूर्व संसद सदस्य कवि प्रकाशवीर "व्याकुल" जी की एक कविता सुनाता हूँ.इन्होने अपने व्याकुल होने का कारण बताते हुए लिखा है.

मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ


जब   दीन   गरीव  लाचार कोई फिरता है दाने-दाने को
एक ओर कोई धनवान खड़ा इसके अरमान मिटाने को
इस बेकस  को तडफाने को कुछ खोटी खरी सुनाने को
उत्सुक है दास बनाने को निज धन का रोब ज़माने को
ताने  देकर  धमकाने को  तिरछी   आंख दिखलाने को 
तू   हट  जा  भग  जा  दूर  परे  बेशर्म मांगता खाने को 
मैं  अपने  मन  में  देख-देख   पछताता  हूँ   घबराता हूँ
मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ.


फिर आगे कहते हैं 


तुम  ये  न  समझना  कि  मै  केवल  गीत  सुनाता  फिरता हूँ
तुम ये न समझाना कि मैं किसी का मन बहलाता फिरता हूँ 
तुम  ये  न  समझना  कि  मैं  कोई  टके  कमाता   फिरता   हूँ
तुम  ये  न  समझाना  कि  मै  किसी पर रौब जमाते फिरता हूँ
मैं  केवल   एक   विचारों   की   अग्नि   सुलगाता   फिरता   हूँ
मैं   सिर्फ   जहालत   की   दुनिया   में   आग लगाता फिरता हूँ
तुम   भूल  गए   अपनी  गाथा  मैं तुम्हे याद दिलाता फिरता हूँ
तुम   जाग  उठो  सोने   वालों  मैं   तुम्हे    जगाता   फिरता   हूँ
पर   तुम   करवट  तक  नही  बदलते  कब  से तुम्हे जगाता हूँ
मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ.

आपका
शिल्पकार

Comments :

12 टिप्पणियाँ to “मैं तब व्याकुल हो जाता हूँ.!!”
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…
on 

इन हालात में आपका व्याकुल होना स्वाभाविक हैं!

Udan Tashtari ने कहा…
on 

कवि प्रकाशवीर "व्याकुल" जी को पढ़कर व्याकुल हो उठे...सुन्दर रचना..आपका आभार!!

Unknown ने कहा…
on 

व्याकुल जी को अभिनन्दन !

बहुत ही मार्मिक और अच्छी कविता ...........

वाह वाह !

Unknown ने कहा…
on 

बहुत सुन्दर कविता पढ़वाई आपने!

मनोज कुमार ने कहा…
on 

बेहद रोचक और मार्मिक है।

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
on 

इतनी सुंदर रचना पढवाने के लिये आभार.

रामराम.

अजय कुमार ने कहा…
on 

व्याकुल करने वाली भावनात्मक रचना

mehek ने कहा…
on 

ek bhavuk sunder rachana,padhwane ke liye shukran

निर्मला कपिला ने कहा…
on 

धम जाग गये जी बहुत अच्छी रचना है बधाई

निर्मला कपिला ने कहा…
on 

धम जाग गये जी बहुत अच्छी रचना है बधाई

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…
on 

बहुत बढ़िया रचना प्रेषित की है।आभार।

36solutions ने कहा…
on 

मैं केवल एक विचारों की अग्नि सुलगाता फिरता हूँ

बहुत सुन्‍दर भईया, धन्‍यवाद.

 

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