अंगूठा हमारे शरीर का महत्व पूर्ण अंग है. जो पहले दिखाने और अब लगाने के काम आ रहा है. इसकी करामत पता नहीं कब से कितनों को मालामाल कर रही है. सोचिये अगर अंगूठा ना हो तो देश का क्या हाल होगा? देश का सारा विकास ही अंगूठे पर टिका हुआ है. सारी योजनायें अंगूठे के दम पर चल रही हैं. पुलिस से लेकर बैंक और अदालतों तक अंगूठे की महिमा ही गुणगान होता है. इसीलिए मैंने आज अंगूठे पर ही एक कुंडली जैसी कविता लिख डाली जिसे पेश कर रहा हूँ.
एक निरंजन देव है, अंगुष्ठ ही भरतार
अगर ये ना होवता, क्या करती सरकार
क्या करती सरकार, देख विकास कैसे करवाती
लाखों के मास्टर रोल में, अंगूठा कैसे लगवाती
कह शिल्पकार कवि, निस दिन अंगुष्ठ को ही सेव
ये सबसे बड़ा संसार में, एक निरंजन देव
चलते - चलते
अंगुष्ठ को ही बिचारिये, सदा राखिये ध्यान
इसके खोये से खो जाये, मानुष की पहचान
निज अंगुष्ठ संभालिये, ये ना चोरी होय
अंगुष्ठ बिना मानुषा, परिचय निज का खोय
अंगुष्ठ बिना मानुषा, परिचय निज का खोय
आपका
अंगूठे के मूल्य पर शिल्पकार का ध्यान।
सोच सुमन कैसे किया एकलव्य ने दान।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
अंगुष्ठ को ही बिचारिये, सदा राखिये ध्यान
इसके खोये से खो जाये, मानुष की पहचान
शानदार सोच.....
अंगठा मसको दस्खत हो्गे, अंगठा मसको मोटर पंप चालू होगे. अंगरी म नी बने गौंटिया. बने लिखे हस.
बढि़या है! अंगूठे की जगह वैकल्पिक व्यवस्था होती फ़िर।
अंगूठे के महिमा ही निराली है.
एक का घर भरता है, गरीब का घर खाली है
अब छत्तीसगढ़ी माँ एही ला कथें अपन झोली भरे बर
अंगूठा लग्वाथे अउ दूसर ला ठेंगा देखाथे.
लगे रहिये.
अंगूठे की महिमा ही निराली है.
एक का घर भरता है, गरीब का घर खाली है
अब छत्तीसगढ़ी माँ एही ला कथें अपन झोली भरे बर
अंगूठा लग्वाथे अउ दूसर ला ठेंगा देखाथे.
लगे रहिये.
अँगूठा लगवाके अँगूठा दिखाओ और मालामाल बन जाओ!
गुरु द्रोर्ण भी जानते थे विकट शक्ति अंगूठे की
एकलब्य से गुरु भेंट में माँगा फिर अंगूठा ही
बहुत खूब ललित जी !
अंगूठे की महिमा बहुत अच्छी लगी !!
बिलकुल सही है जब कुछ नहीं होता हमारे पास तो यही दिखा देते हैं।
अंगुष्ठ को ही बिचारिये, सदा राखिये ध्यान
इसके खोये से खो जाये, मानुष की पहचान
बहुत सुन्दर सही बात शुभकामनायें
वोट देने के बाद नेताओं के अंगूठे को तो बरसों से देखते ही आ रहे हैं...
जय हिंद...
अंगूठे की महिमा बहुत अच्छी लगी !!
ललित शर्माजी
अंगूठे की कथा बडी ही बुद्दि वर्द्धक लगी,
वैसे पैर के अगुठे मे मानव का सम्पुर्ण शक्ती केन्द्र होता अगर गुरु भगवन्तो के बाऎ पैर
के अंगूठे को वन्दन करते समय ठीक से ललाट से लगाया जाऎ तो गुरु की
कुछ तेजश का अन्श हमारे शरीर मे ट्रान्सप्लान्ट हो जाता है.
इसलिऎ हम बडॊ को प्रणाम करते है तभी पैर के अंगूठे को हाथ लगाते है.
अंगूठा मानविय शरीर की का सक्ती सचारक भी है.
धन्यवाद
महावीर बी. सेमलानी "भारती"
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यह पढने के लिऎ यहा चटका लगाऎ
भाई वो बोल रयेला है…अरे सत्यानाशी ताऊ..मैने तेरा क्या बिगाडा था
हे प्रभु यह तेरापन्थ
मुम्बई-टाईगर