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स्वागत है आपका

गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

ये चमन, चमन कैसे रहेगा? जब माली ही शैतान हुआ है!!!

फिर यादों के सुमन खिले
सपनों  का  खुला  आगार
मेरा   मन  विकल हुआ है
अब  तुम  आओ  एक बार


पास  नहीं  हो  दूर  हो तुम
मैं  कैसे पास आऊं तुम्हारे 
आज  बहारों  घेर लिया था
पुराने  जख्म  हरे  हुए सारे


आज  बसंत आया है दुवारे 
मन में एक कसक है प्यारे
बसंत  पुरवाई  बन के   लू 
झुलसा  रही  है जख्म सारे


तुम्हारे  बिन वीरान हुआ है
जाने  जैसे सुनसान हुआ है
ये चमन, चमन  कैसे रहेगा 
जब माली ही शैतान हुआ है

फिर  भी लिए आस बैठा हूँ 
कोई चुपके से आज आएगा
भर  कर  झोली  में खुशियाँ
मुझ    पर   खूब   लुटायेगा

आपका 
शिल्पकार

 

Comments :

9 टिप्पणियाँ to “ये चमन, चमन कैसे रहेगा? जब माली ही शैतान हुआ है!!!”
Kusum Thakur ने कहा…
on 

बहुत अच्छी रचना है , आभार ।

Unknown ने कहा…
on 

"तुम्हारे बिन वीरान हुआ है
जाने जैसे सुनसान हुआ है
ये चमन, चमन कैसे रहेगा
जब माली ही शैतान हुआ है"

बहुत सुन्दर!

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…
on 

तुम्हारे बिन वीरान हुआ है

जाने जैसे सुनसान हुआ है

ये चमन, चमन कैसे रहेगा

जब माली ही शैतान हुआ है



फिर भी लिए आस बैठा हूँ

कोई चुपके से आज आएगा

भर कर झोली में खुशियाँ

मुझ पर खूब लुटायेगा

बहुत सुन्दर!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…
on 

तुम्हारे बिन वीरान हुआ है
जाने जैसे सुनसान हुआ है
ये चमन, चमन कैसे रहेगा
जब माली ही शैतान हुआ है..

bahut hi khoobsoorat panktiyannn

sunder rachna...

खोटा सिक्का ने कहा…
on 

फिर भी लिए आस बैठा हूँ
कोई चुपके से आज आएगा

bahut sundar "lalit bhaiya" badhai

अल्पना ने कहा…
on 

तुम्हारे बिन वीरान हुआ है
जाने जैसे सुनसान हुआ है
ये चमन, चमन कैसे रहेगा
जब माली ही शैतान हुआ है

सुंदर पंक्तियां-बधाई

Unknown ने कहा…
on 

आज बहारों घेर लिया था
पुराने जख्म हरे हुए सारे

जब फ़ंस ही जाओगे तो जख्म हरे होगें ही
अब मरहम पट्टी की दरकार है-कही वहां मत फ़ंस जाना-हा हा हा-बहुत सुंदर कविता ललित भैया

मास्टर जी ने कहा…
on 

sundar kavita-badhai

निर्मला कपिला ने कहा…
on 

बहुत सुन्दर रचना है बधाई

 

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