आज मै
एक अरसे बाद
फिर उस गली से
फिर उस गली से
हो कर गुजरा
जहाँ हुआ करती थी
रात-रानी के
फूलों की मधुर महक
चम्पा के फूलों की
खुशबु से भरी सुबह
मगर वह खुशबु
आज मुझे नहीं मिली
बारूद की गंध
उड़ रही थी फिजा में
तड़-तड़ तड़-तड़
गोलियों की आवाज
के बीच
कहीं खो गई थी
वह गली
मासूमों का खून
बहाती वह सुबह
जिन्हें पता ही नहीं था
मौत कहाँ से आ गई?
खून से रंगी हुयी सड़क
मौत के तांडव की कहानी
कह रही थी
मुझे लगा की पुरानी
गली कहीं खो गई है
ठीक हमारी
सुरक्षा के
ठेकेदारों की तरह
उसकी जगह नई
गली आ गई है
नेपाली गोरखों की
पनाह लिए
सिर्फ "जागते रहो"
सुनने के लिए
कब तक हम
इनके भरोसे
सोते-सोते
जागते रहेंगे
सिर्फ" जागते रहो"
के सहारे
आपका
शिल्पकार
जागना ही पड़ेगा ललित साहब, अब तो वे जागते रहो भी नहीं बोलते सिर्फ सेती बजाते है और डंडा जमी पर मारते है ! अच्छी कविता !
ललित भाई,
हम सब कर भी क्या सकते हैं...और सरकार भी इंतज़ार करती है कि कब अगला हमला हो और वो पाकिस्तान से सारे संबंध तोड़ लेने जैसे बयान दे...और थोड़े दिन बाद क्या...वही ढाक के तीन पात...
जय हिंद...
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
कब तक हम
इनके भरोसे
सोते-सोते
जागते रहेंगे
सिर्फ" जागते रहो"
के सहारे
बहुत सुन्दर आज के दिन पर सटीक अभिव्यक्ति शुभकामनायें
बहुत सटीक रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
कब तक हम
इनके भरोसे
सोते-सोते
जागते रहेंगे
सिर्फ" जागते रहो"
के सहारे
बड़ी गहरी बात...
इनके भरोसे
सोते-सोते
जागते रहेंगे
सिर्फ" जागते रहो"
के सहारे
-बिल्कुल सही कहा!
चैन से सोना है तो जाग जाईए...
समयानुकूल रचना
SSL in Hindi
Tagging Meaning In Hindi
Full Form Of Computer
Interpreter in Hindi
Gigabyte in Hindi
SIM Card in Hindi
Web Hosting in Hindi
Cache Memory in Hindi
Compile Meaning In Hindi
Xbox in Hindi