देखो जी श्याम लगाओ ना निशाना
देखो सर्दी बहुत है हमें ना भीगाना
जाने दो जाने दो हमें जाना बच के
मार ना देना पिचकारी चल चल के डगर पे
भीग जाउंगी रंग से बचाना ओ बचाना
देखो जी श्याम लगाओ ना निशाना
देखो सर्दी बहुत है हमें ना भीगना
कर देंगे बंद तुम्हारा राहों पे चलना
तुम सोच समझकर जरा हम पे मचलना
चुराया जो माखन छुपाना ना छुपाना
देखो जी श्याम लगाओ ना निशाना
देखो सर्दी बहुत है हमें ना भीगना
चुराया जो माखन खाएं तो कहाँ खाएं
आना तो फिर यहीं है जाएँ तो कहाँ जाएँ
छोड़ दो हमको सताना ना सताना
देखो जी श्याम लगाओ ना निशाना
देखो सर्दी बहुत है हमें ना भीगना
बता देंगे माँ को जरा तू सुधर जा
खूब होगी पिटाई तू चुपके से निकलजा
राधा को प्यारे बनाओ ना दीवाना
देखो जी श्याम लगाओ ना निशाना
देखो सर्दी बहुत है हमें ना भीगना
आपका
शिल्पकार
राधे-राधे,श्याम-श्याम्।
इसमें आध्यात्मिक रहस्य दिखाई पड़ता है।