जब भंग सर चढ़ जाये होते उलटे काम
श्यामलाल के घर में घुसे होलिया राम
घुसे होलिया राम जमकर हुयी पिटाई
सर भी फुट गया और टांगे भी तुडवाई
कहे कवि सुनो तब नानी याद आ जाये
टूटे फूटे पंहुचे घर जब भंग सर चढ़ जाये
आपका
शिल्पकार
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इसीलिये तो हम भंग नहीं छानते, सिर्फ व्हिस्की से काम चला लेते हैं!
सच में बहुत बुरी चीज है, एक बार पी थी होली पर, सब कुछ उड़ता हुआ नजर आ रहा था उस ज़माने में स्टोव खूब चलते थे ! किचन में स्टोव जल रहा था और मुझे लगा कि यह उड़ने वाला है और मैंने ....
तो फ़िर इस गाने का क्या करे,
भंग का रंग जमा हो चकाचक,फ़िर लो पान चबाये,
ऐसा झटका लगे जीया मे,पुनर्जनम हुई जाये।
बदिया शुभकामनायें
maze karaa diye ji..........
sachmuchh naani nahi parnani yaad dila deti hai bhang!!!
भंग चढ जाये तो कभी कभार अंग भंग भी हो जाये