म्रित्रों आज मेरे ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट है. मैं आज अपने अनुभव लिख रहा हूं, ब्लॉग पर वैसे मैं जनवरी माह में आ गया था अपने पहले ब्लॉग"शिल्पकार के मुख से" के साथ, तब यह ही समझ नहीं थी कि ब्लॉग पर क्या लिखा जाता है, ब्लॉग का नाम तो बहुत सुना था इसलिए इस पर आ भी गए, लेकिन एक समस्या से काफी दिनों तक जूझता रहा. ब्लॉग का पता लोगों को कैसे चले और कहाँ से पढ़ा जाये. मैंने अपने मित्रों का इसका पता भेजा, उन्होंने पढना शुरू किया, लेकिन तब तक मैं किसी ब्लोगर के संपर्क में नहीं आया था. फिर लगातार मेरा दौरा चालू हो गया फिर जून में मैंने ब्लॉग पर एक पोस्ट लिखी और फिर अपने काम में लग गया. कई दिनों बाद मैंने ब्लॉग खोला तो उसमे 8 टिप्पणियाँ थी, जिन्हें पढ़ कर मैं बहुत ही खुश हुआ, चलो मेरे लिखे को किसी पढा तो सही, फिर मैं सोचने लगा कि इनको मेरे ब्लाग का एड्रेस कैसे पता चला? मैंने जब टिप्पणी के लिंक पर क्लिक किया तो, टिप्पणी कर्ता की प्रोफाइल खुली. उनसे और भी ब्लॉग के नाम थे वहां से मैंने पहली बार किसी दुसरे ब्लॉग का दर्शन किया और फिर मैं वही से पढ़ता था. बड़ा आनद आता था. एक दिन मैंने अपने ब्लॉग का पता सर्च किया तो चिटठा जगत के साथ मेरे ब्लॉग का नाम दिखा, मैंने उसे खोला तो देखा वहां पर ब्लॉग ही ब्लॉग थे. पढने की इतनी सारी सामग्री देख के मैं बहुत ही खुश हुआ. लगा कि किसी दूसरी ही दुनिया में पहुँच गया. मैं इतना अभिभूत था की जिसका वर्णन मैं शब्दों में नहीं कर सकता और उस अनुभूति का वर्णन करने के लिए आज भी मेरे पास शब्द नही हैं. अब मैं चिटठा जगत से ब्लॉग पढने लगा. लेकिन मुझे ये पता नही चला कि चिटठा जगत से ब्लॉग कैसे जोड़ते हैं? और यह यक्ष प्रश्न कई दिनों तक मेरे सामने खडा रहा. फिर मैंने सोचा कि एक ब्लॉग और बनया जाये जिसे हरियाणी में ताऊ के किस्से लिखे जाएँ. फिर "एक लोहार की" नामक ब्लॉग का जन्म हुआ. और उसपे भी लिखने लगा. "शिल्पकार के मुख से" नामक ब्लॉग पर पहली टिप्पणी गिरिजेश राव जी की थी-गिरिजेश राव ने कहा…सम्भवत: आप पहले व्यक्ति हैं जिसने हिन्दी ब्लॉग पर अपने को शिल्पकार घोषित किया है। स्वागत है निर्माण के कर्मी। ।June 3, 2009 10:12 PMएक अनुरोध - word verification रखा हो तो हटा दें,समय ने कहा… भाई पहले जरा इस शिल्पकार शब्द से आपका तात्पर्य समझा दीजिए.भ्रम ना रहे।स्वागत है.ravikumarswarnkar ने कहा… शुभकामनाएं...नारदमुनि ने कहा… naryan नारायण, nislamicwebdunia ने कहा… ..आपने अच्छा मुद्दा उठाया है,alka sarwat ने कहा… प्रिय बन्धु ,जय हिंद, हे शिल्पी मेरे देश को नये तरीके से गढ़ने में मेरी मदद करो अगर आप अपने अन्नदाता किसानों और धरती माँ का कर्ज उतारना चाहते हैं तो कृपया मेरासमस्त पर पधारिये और जानकारियों का खुद भी लाभ उठाएं तथा किसानों एवं रोगियों को भी लाभान्वित करें,Kavyadhara ने कहा… जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है,न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है ।संगीता पुरी ने कहा…बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं। इस तरह ये प्रथम आठ टिप्पणियाँ मुझे मिली. इससे मेरा उत्साह वर्धन हुआ. लेकिन इनमे से एक टिप्पणी ने मुझे आहत किया वो थी नारदमुनि- की -नारायण-नारायण. अब इस विषय पर मैं आपसे ही पूछता हूँ कि यदि आप किसी दुनिया के विषय में कुछ नहीं जानते हो और कोई आपको आकर नारायण-नारायण कहे तो आप उसका क्या अर्थ लगायेंगे? यही ना कि यह व्यक्ति आपका उपहास कर रहा है-आपकी मजाक उड़ा रहा है. मुझे भी ऐसा ही लगा. मैंने अपनी अगली पोस्ट में इनका उल्लेख किया. और अपने मन की बात कही, तब तक मुझे नारद मुनि जी का पता नहीं था. अब पता चल गया. उनसे मेरा एक ही निवेदन है. कि जब आप नए चिट्टों का स्वागत कर रहे हों तो उसके ब्लॉग पर अपनी पूरा कमेन्ट कर के आयें. चाहे वो अच्छा हो या बुरा, शब्दों का पूरा इस्तेमाल करें-कहीं फिर कोई नया व्यक्ति आपके नारायण-नारायण कि गुहार से अनजाने में ही आहत हो जाये. भले आपकी मंशा सही हो. मेरे लगातार लेखन के इस महीनो में मुझे ब्लोगर भाइयों-बहनों एवं मित्रो का अथाह प्रेम-स्नेह एवं वात्सल्य मिला, अब मुझे सब अपने एक परिवार की तरह ही लगने लगे हैं "गिरीश पंकज भैया" के शब्दों में "ललित ये तो अद्भुत दुनिया है भाई" इनके शब्द अक्षरश: सत्य प्रतीत होते हैं. अद्भुत दुनिया है. हम कभी कम्प्यूटर पर बैठे बैठे, अकेले ही किसी अनजान के दुःख में शरीक हो कर दुखी हो जाते हैं . कभी कुछ ख़ुशी मिलने पर या किसी की टिप्पणी पढ़ के अकेले में ही हंस रहे होते है. लगता है ना कभी! अजीब ही पागलपन है? लेकिन इतने दिनों में मैंने एक बात समझी जानी है. यदि किसी बीमार आदमी को, जो मरने वाला हो और इस ब्लॉग की दुनिया से जोड़ दिया जाये तो उसे ले जाने वाले यमदूत भी भाग जायेंगे. और वह ठीक हो जायेगा. मुझे लग भग सभी का स्नेह मिला, जिनमे कुछ लोगो के नामो का तो उल्लेख अवश्य ही करूँगा. मेरे सभी आदरणीय-समीर लाल जी- इनका रहस्यमयी व्यक्तित्व, बाबु देवकी नंदन खत्री के उपन्यास के "चन्द्रकान्ता संतति" के एयारों की तरह, मैं कई बार देखता हूँ कि इनकी टिप्पणियाँ रात १२ बजे तक चलती हैं. और फिर सुबह उठ कर देखता हूँ तो मेरे ब्लॉग पर इनकी टिप्पणी साढ़े चार बजे भी रहती है. और सभी ब्लोगों तक पहुँच भी जाते हैं. इसीलिए ये ब्लोगर नंबर एक है.हम चाह कर भी सब तक नहीं पहुँच पाते. शायद इसी लिए कहते हैं" कानून (समीर भाई) के हाथ बहुत लम्बे होते हैं.एक बार हमारे फौजी ताऊ मनफूल सिंग ने पूछा भी था.इस विषय में लेकिन समीर भाई की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. ना ही आज तक उनकी जिज्ञासा शांत हुई. अनिल पुसदकर भैया, बी.एस. पावला, अविनाश वाचस्पति ,डॉ.सत्यजित साहू. अलबेला खत्री, आचार्य रूपचंद शास्त्री, निर्मला कपिला , संगीता पूरी , कुसुम ठाकुर, श्रीमती आशा जोगलेकर, अल्पना देशपांडे, बबली, लवली कुमारी,पी.सी. गोदियाल , संजीव तिवारी, शरद कोकास, दिनेश राय दिवेदी ,गिरिजेश राव, गिरीश पंकज, राजकुमार ग्वालानी, जी.के अवधिया, खुशदीप सहगल, राजीव तनेजा, पंकज मिश्रा, राज भाटिया. ज्ञान दत्त पांडेय, चिटठा चर्चा, हिन्दी चिटठा चर्चा. अजयकुमार झा, एम् वर्मा, परम जीत बाली, श्यामल सुमन, महेंद्र मिश्रा शिवम् मिश्रा सदा अदृश्य रहें वाले टिप्पू चाचा, मुरारी पारीक, रतन सिंग शेखावत जी, ताऊ जी लट्ठ वाले,हाँ रवि रतलामी भी आये थे एक बार मेरे छत्तीसगढ़ी ब्लॉग पर, सूर्यकांत गुप्ता, बाल कृष्ण अय्यर, सुनील कौशल, विवेक रस्तोगी, रवि कुमार रावतभाठा, दीपक तिरुवा महफूज अली यदि किसी और भी जाने अनजाने सहयोगी का नाम भूल वश छुट गया हो तो, क्षमा करेंगे. हाँ एक बात मैं अवश्य ही कहना चाहूँगा कि संजीव तिवारी जी ने मुझे बहुत ही तकनीकी सहयोग किया और मेंरा संबल बढाया, उसे मैं जीवन में कभी भुला नहीं सकता. साथ ही चिटठा जगत, ब्लॉग वाणी, ब्लॉग प्रहरी, रफतार, ई डिग, हिन्दी ब्लॉग, ब्लोगिस्तान, एवं अन्य सभी ब्लॉग एग्रीगेटरों को भी धन्यवाद देता हूँ. जो मेरे इस सफ़र के साथी बने. इस तरह ब्लॉग जगत पर मेरा ग्यारह माह का सफ़र अवसान पर है. इस सौवीं पोस्ट तक कितने पाठक आये और कितनी टिप्पणियाँ मिली. इससे मुझे कोई वास्ता नहीं है. मैं तो योगी भाव से लिखता हूं, सफ़र में कभी ऐसा भी होता है कि हमारे साथ कोई सहयात्री है और उससे हमारी सफ़र के अंत तक बात नहीं हो पाती, कई सहयात्री ऐसे मिलते हैं. जिनसे पहले घंटे में ही बात हो शुरू हो जाती है और जीवन पर्यंत प्रगाढ़ मित्रता बनी रहती है और हम एक दुसरे के सुख दुःख में शामिल रहते हैं. जब आभासी दुनिया से निकलकर वास्तविक दुनिया में आपस में मिलते हैं तो यह नही लगता की किसी नये आदमी से मिल रहे हैं, ऐसा लगता है की वर्षों पुराने मित्र से मिल रहे हैं. इस अजब गजब दुनिया में मैंने बहुत कुछ पाया, इस अवधि में आभासी दुनिया से मैंने बहुत कुछ सीखा है. साहिर लुधियानवी का एक शेर इस वक़्त मुझे याद आ रहा है:-
"दुनिया ने तजुर्बातो हवादिश की शक्ल में
जो कुछ मुझे दिया वो लौटा रहा हूं मैं"
आप सभी के स्नेह एवं आशीष की आकांक्षा के साथ
आपका
शिल्पकार
१०० वी पोस्ट मुबारक हो ललित भाई , एक दो बार आपके पोस्ट पर आया और टिप्पणी भी की है
आगे भी आता रहुगा, मुझे छ्त्तीसगडी नही आती,हिन्दी वाले पोस्ट पड्ता रह्ता हू । हिन्दी की गलतिया माफ़ करियेगा ,हिन्दी फ़ोन्ट सही नही है
@ अजय कुमार जी, आपका आभार प्रगट करता हुँ।
सैकड़ा पूरा करने पर बधाई।
बधाई , हम इन्तजार करेंगे आपकी हजारवी पोस्ट का २०१० में !
शतक के लिये शत शत बधाईयांजल्दी ही अगले शतक की प्रतीक्षा है।
sauveen post ki aapko bahut bahut badhai.......
ये कौन शिल्पकार है,
ये कौन शिल्पकार है,
यारों का यार है...
ललित भाई जहां दिल मिल जाते हैं वहां नो थैंक्स, नो शुक्रिया...बस फुलझड़ियां ही फुलझड़ियां...बस अब आप सौ के आगे शून्य जोड़ते चलिए...हमें झंडा उठाए हर वक्त पीछे पाएंगे...
जय हिंद...
सौंवी पोस्ट की बधाई...अभी तो पहला शतक है...ब्लॉग जगत के सचिन बनो ये ही कामना है...
नीरज
लख-लख बधाई, शर्मा जी !
बस, सिर्फ आपको अपने कल के कार्टून की याद दिलाना चाहता हूँ, लगता है आपने अपने काम समय पर किये , वरना अभी तक ये आपकी पता नहीं कौन सी हजारवी पोस्ट होते :)
ललित जी १०० वीं पोस्ट मुबारक हो | बहुत बहुत शुभकामनाएँ | अबतो जल्द ही २०० वीं पोस्ट की खबर पढने का इन्तजार है |
१०० वी पोस्ट मुबारक हो ललित भाई और जल्दी हजारा होवे के लिए अभी से शुभकामना.
अच्छा जी, कोशिश करते हैं कि जिज्ञासा शांत की जाये. :)
शतक की बधाई..
बधाई हम सब साथ साथ है और रहेंगे ।
बहुत बहुत बधाई .. अपने ब्लॉग पर आप मेरी पहली टिप्पणी से इतने खुश हैं .. और कट पेस्ट का इल्जाम लगने से मैने पंद्रह अगस्त के बाद नए ब्लोगों का स्वागत करना छोड ही दिया है .. शायद गलत कर रही हूं मैं !!
"...हाँ रवि रतलामी भी आये थे एक बार मेरे छत्तीसगढ़ी ब्लॉग पर..."
वा भइया कइसे अलकरहा कहिथस. में ह तो तोर सब्बो ब्लाग ल हमेसा पढ़थों गा. खासकर छत्तीसगढ़ी वाले ल. बढ़िया लिखथस. एकदम मजा आ जाथे. वइसन भी छत्तीसगढ़ी मं लिखइया गिनती के त हावे भइया.
बहुत तेज़ दौड़ लगा रहे हो भाईसा...
शुभकामनाएं....
badhai ho mama ji 100 post , aaj dhoke se aa gaya tha ghumane .
achcha likha hai .
बहुत बढ़िया! जमाये रहिये जी। और बहुत बधाई।
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