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ब्लाग जगत है तैयार-बह रही फ़ागुनी बयार (बिरहा फ़ाग)

बसंत ऋतू आ गई है, वातावरण में रौनक छा गई है-आभासी ब्लाग जगत भी इससे अछूता नहीं है. कहीं ढोल-नंगाड़े बज रहे हैं. कही आचारज जी काला मोबिल आईल लेकर तैयार हैं पोतने को. गिरिजेश भाई ब्लागर की अम्मा से गोइठा-गोइठी सकेल रहे हैं. बस यूँ मानिये की फागुन का स्वागत जोर शोर से हो रहा है. हम भी तैयार हैं रंग-गुलाल और अबीर के साथ. खूब खेलेंगे होली. बनारसी भंग का रंग भी चढ़ेगा और सर चढ़ कर बोलेगा. मौसम मतवाला है ऐसे में विरह से व्याकुल एक नायिका क्या कह रही है सुने और पसंद आये तो आशीर्वाद अवश्य दे.........

कैसी कीनी प्रीत बलमवा
कैसी कीनी प्रीत
नैनन की निंदिया, मन को चैना
सगरो ही हर लीना सजनवा 
कैसी कीनी प्रीत बलमवा 

जूही खिली चम्पा खिली
रात रानी भी अलबेली 
कासौं कहूँ मैं मन की बतिया
अगन लगाये देह पवनवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा

मैना बोले सुवा बोले
कोयल मन को भेद ही खोले
बिरहा कटे ना मोरी रतिया 
आयो है रे मस्त फगुनवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा

फागुन आयो रंग भी लायो
कामदेव ने काम जगायो 
देखत ही बौराई अमिया
गाऊँ रे मैं राग कहरवा 
कैसी कीनी प्रीत बलमवा

आनो है तो आ ही जाओ 
प्रीत भरी गगरी छलकाओ 
भीजेगी जब मोरी अंगिया
और भी होगी प्रीत जवनवा 
कैसी कीनी प्रीत बलमवा 

आपका 
शिल्पकार

Comments :

23 टिप्पणियाँ to “ब्लाग जगत है तैयार-बह रही फ़ागुनी बयार (बिरहा फ़ाग)”
गिरिजेश राव, Girijesh Rao ने कहा…
on 

@ आनो है तो आ ही जाओ
प्रीत भरी गगरी छलकाओ
भीजेगी जब मोरी अंगिया
और भी होगी प्रीत जवनवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा

भई वाह! पूरी कविता ग्राम्य सहजता और सरलता की झाँकी है। घुसता हुआ शहर धीरे धीरे इसे निगल रहा है। फागुन के उत्सव शहरात लोग क्या जानें?

हाँ, ब्लॉग जगत में हर परिवेश से आए लोग हैं सो फाग का असल रंग तो दिखेगा ही। आप ने भी मोर्चा खोल ही दिया। अब तो बस रंग है।
हाँ जोगीरा सर र र र र ...

Unknown ने कहा…
on 

वाह ललित जी! बहुत सुन्दर फाग पढ़वाया आपने! आज की आपाधापी में तो फाग सिर्फ होली के समय सिर्फ एक दो दिन ही गाये जाते हैं किन्तु पहले के दिनों में वसन्त पंचमी के दिन से ही फाग गाने की शुरुवात हो जाती थी जो कि रंग पंचमी तक चलती थी।

"बिरहा कटे ना मोरी रतिया
आयो है रे मस्त फगुनवा"


उपरोक्त पंक्तियों को पढ़ कर याद आ गयाः

नींद नहि आवै पिया बिना नींद नहिं आवै
मोहे रहि रहि मदन सतावै पिया बिना नींद नहिं आवै ...

बेनामी ने कहा…
on 

भीजेगी जब मोरी अंगिया
और भी होगी प्रीत जवनवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा


वाह!

बी एस पाबला

कडुवासच ने कहा…
on 

प्रीत भरी गगरी छलकाओ
भीजेगी जब मोरी अंगिया
..... बहुत सुन्दर!!!

Arvind Mishra ने कहा…
on 

बहुत ही सुन्दर -वाह बधाई!

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…
on 

बहुत खूब श्रृंगार रस की एक सुंदर प्रस्तुति जोरदार ढंग से फागुनी बयार की प्रस्तुति लग रहा है की अब फागुन आ गया..बढ़िया गीत..बधाई ललित जी

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…
on 

वाह भई ललित जी बहुत सुंदर लिखा है.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…
on 

सुंदर!

विवेक रस्तोगी ने कहा…
on 

ललित भाई मजा आ गया।

राजकुमार ग्वालानी ने कहा…
on 

जब दिल से मिलेगे दिल
बांसती रंगों से सजेगी महफिल
आपके ब्लाग की भी 10वीं और आज की हमारी भी यह 10वीं टिप्पणी है।

Gyan Darpan ने कहा…
on 

ललित जी बहुत सुंदर लिखा

Gyan Darpan ने कहा…
on 
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Gyan Darpan ने कहा…
on 

बस यूँ मानिये की फागुन का स्वागत जोर शोर से हो रहा है. हम भी तैयार हैं रंग-गुलाल और अबीर के साथ. खूब खेलेंगे होली.

@ गिन्दड़ खेलणों भूलग्या क याद है :)
और धमाल सुन णी है तो अठै चटको लगावो

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…
on 

मैना बोले सुवा बोले
कोयल मन को भेद ही खोले
बिरहा कटे ना मोरी रतिया
आयो है रे मस्त फगुनवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा
अति सुन्दर, ललित जी !

Unknown ने कहा…
on 

फागुन आयो रंग भी लायो
कामदेव ने काम जगायो
देखत ही बौराई अमिया
गाऊँ रे मैं राग कहरवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा

बहुत सुन्दर अगवानी गीत है

आया है तो स्वागत है.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…
on 

फगुनवा आयो रे....

जोगीरा सा र र र र रर र र र रर र र र रर र र र र्रर्रर ........

बहुत बढ़िया रचना....

Udan Tashtari ने कहा…
on 

मौसम का असर हो गया प्रभु...बहुत सही!!! शानदार प्रस्तुति!!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
on 

अब आज लगा कि होली का त्योंहार आगया है. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

drsatyajitsahu.blogspot.in ने कहा…
on 

मदन उत्सव का शानदार अंदाज़ है
यही तो रंग है उमंग है
जीवन में यही तो प्यारा पासंग है
....................बहुत बढ़िया है.......खूब जमा है .................

Amrendra Nath Tripathi ने कहा…
on 

आनो है तो आ ही जाओ
प्रीत भरी गगरी छलकाओ
भीजेगी जब मोरी अंगिया
और भी होगी प्रीत जवनवा
कैसी कीनी प्रीत बलमवा ...........
.......... क्या बात है !
तगड़ा शोट मारा यहाँ पर ..
अंगिया - प्रसंग - अनुकूल
अब अगर सजनवा न आया तो
नयन पड़ोसी से ही लड़ेंगे न ...
चलिए अच्छा लगा ... आप भी फगुना बैठे ... आभार !!!

Himanshu Pandey ने कहा…
on 

फगुआया हुआ ब्लॉग जगत दिख रहा है पूरी तरह ।
बेहतरीन रचना । आभार ।

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…
on 

बेहतर...

Unknown ने कहा…
on 

dhnya kar diya prabhu !

 

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