बस अब फ़ाग-राग और होली का धमाल-व्यंग्य के तीर और स्नेह का गुलाल, ब्लाग जगत मे भी उड़ना शुरु हो गया है। होली का रंग दिखने लगा हैं भंग के साथ---यही होली की रीत है--यही मानुस की प्रीत है----होली के फ़ाग गीतों मे अपुर्व श्रृंगार भरा है। प्रेम उमड़ने लगता है----भावनाओं का सागर हिलोरें लेने लगता हैं। क्या कहने इस त्यौहार के ! बात आनंद लेने की है तो एक मस्ती भरा परम्परागत रुप से गाया जाने वाला फ़ाग प्रस्तुत कर रहा हुँ आप अवश्य आनंद ले और होली के रंग गुलाल का कोष अभी से भरपुर रखें क्योंकि यही आनंद वर्ष भर के लिए उर्जा देता है---किसी भी तरह--हर परिस्थिति मे खुश रहे----बस यही कामना है
काहे को सताय, काहे को सताय, बाली उमर लरकैया
बारा बरस के उमरिया
राधा-ललिता आय, राधा-ललिता आय
चन्द्रावली और विशाखा
जल भरने को जाय, जल भरने को जाय
बाली उमर लरकैया
काखर फोरे गगरिया
काखर चूमे गाल, काखर चूमे गाल
काखर फाड़े चुनरिया
यशोदा जी के लाल, यशोदा जी के लाल
बाली उमर लरकैया
राधा के फोरे गगरिया
ललिता के चूमे गाल, ललिता के चूमे गाल
चन्द्रावली के चुनरिया
यशोदा जी के लाल, यशोदा जी के लाल
बाली उमर लरकैया
बारा बरस के उमरिया
राधा-ललिता आय, राधा-ललिता आय
चन्द्रावली और विशाखा
जल भरने को जाय, जल भरने को जाय
बाली उमर लरकैया
काखर फोरे गगरिया
काखर चूमे गाल, काखर चूमे गाल
काखर फाड़े चुनरिया
यशोदा जी के लाल, यशोदा जी के लाल
बाली उमर लरकैया
राधा के फोरे गगरिया
ललिता के चूमे गाल, ललिता के चूमे गाल
चन्द्रावली के चुनरिया
यशोदा जी के लाल, यशोदा जी के लाल
बाली उमर लरकैया
प्रस्तुतकर्ता
शिल्पकार
बहुत सुंदर कविता.... होली की शुभकामनाओं के साथ.....
बहुत ही सुन्दर फागगीत प्रस्तुत किया है ललित जी! श्रृंगार रस के साथ भक्ति का अद्भुत संयोग है इसमें!
बहुत ही लाजवाब कविता लगी , बधाई आपको ।
बहुत ही बेहतरीन रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
सुन्दर फागगीत की प्रस्तुति
मज़ा आ गया ,आपको इस सुरूर के लिए बधाई
बहेतरीन रचना ...
वाह जी आप की रचना पढ कर फ़ाग का मजा आ गया
फाग का रंग चढने लगा है...:-)
बहुत बढिया लगी रचना!!