हमारे ३६ गढ़ में होली का माहौल परम्परागत रूप से बसंत पंचमी से ही प्रारंभ हो जाता है. होलीका दहन स्थल पर पूजा करके अंडा(एरंड) का पेड गड़ाया जाता है प्रति दिन उसके बाद शाम होते ही नवजवानों की टोली नंगाड़ों के साथ फाग गीत गाते है जिसकी लय और तन इतनी उत्तेजक होती है कि कदम अपने ही आप नाचने को मजबूर हो जाते हैं. अगर इसके साथ भंग का रंग हो तो क्या कहने. फिर तो सोने में सुहागा हो जाता है. हम भी अपने नंगाड़ों के साथ होली का मजा लेने में कभी नहीं चूकते थे. छोटे गांवों में तो यह मनोंरजन अभी तक जारी है. लेकिन बड़े गांवों में अब रस्म अदायगी मात्र रह गई है.
एक से बढ़ कर एक फाग अन्दर मन के तक हिलोर मारते हैं. लेकिन एक परम्परा है जिसका निर्वहन आज तक होता है. वह है फाग गायन से पूर्व गणपति वंदना. इस मंगल कार्य के लिए गणपति को अवश्य मनाया जाता है उसे भूलते नहीं हैं. अब ब्लाग जगत में होली कि बयार बह रही है. हम भी लेकर आये हैं परम्परा से गाए जाने वाली गणपति वंदना को. इसे किसने लिखा है? इसका तो मुझे पता नहीं है. क्योंकि यह वंदना श्रुति परंपरा से चली आई है मुझ तक। आप भी इसका आनंद ले और होली पर्व का आरम्भ समझें.........................
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
गणपति को मनाय, गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
एक दंत गज मुख लम्बोदर
सेन्दुर तिलक बरनि ना जाय
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
माँगत हौं बर दुइ कर जोरे
देहु सिद्धि कछु बुधि अधिकाय
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
गणपति को मनाय, गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
एक दंत गज मुख लम्बोदर
सेन्दुर तिलक बरनि ना जाय
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
माँगत हौं बर दुइ कर जोरे
देहु सिद्धि कछु बुधि अधिकाय
गणपति को मनाय प्रथम चरण गणपति को मनाय
एक अन्य गणपति वंदना है...........................
गणपति को मनाव प्रथम चरण गणपति को मनाव
गणपति को मनाय, गणपति को मनाव प्रथम चरण गणपति को मनाव
गणपति को मनाव प्रथम चरण गणपति को मनाव
काखर पूत भये गणपति
काखर हनुमान, काखर हनुमान
काखर पूत भये भैरो
काखर भये राम, काखर भये राम
गणपति को मनाव प्रथम चरण गणपति को मनाव
गौरी के पूत भये गणपति
अंजनि के हनुमान, अंजनि के हनुमान
काली के पूत भये भैरो
कौशल्या के राम, कौशल्या के भये राम
गणपति को मनाव प्रथम चरण गणपति को मनाव
काखर=किसके
मनाव= मनाना
आपका
शिल्पकार
बहुत सुंदर लगा,यह सब हम लोगों की तरफ भी होता है.
फाग गाने का चलन तो बुन्देलखंड क्षेत्र में भी है, लेकिन गणपति वंदना वहां प्रचलित है या नहीं, नहीं जानती. अच्छी जानकारी, गणपति वंदना के साथ.
सुन्दर प्रस्तुति ललित जी !
वाह ललित जी! प्रथम पूज्य गणपति अर्थात् विनायक, विघ्नराज, विघ्नहर्ता गणाधिप, हेरम्ब, लम्बोदर, गजानन और गणेश जी की वन्दना से युक्त फाग प्रस्तुत करके आपने तो आनन्दित कर दिया! धन्यवाद आपको!
प्रथम गणेश मनाऊँ मैं अब तो प्रथम गणेश मनाऊँ रे लाल।
सारद के गुण गाऊँ रे लाल॥
रसिक हृदय आनन्द करन हित,
राग फाग के गाऊँ रे लाल।
प्रथम गणेश मनाऊँ ...
बहुत सुंदर प्रस्तुति .. हर क्षेत्र की शायद यही परंपरा है !!
भक्त प्रहलाद की जय हो!
holi khelane ka mahaul bana diya..vaah...badhai ''fagunahat samman k liye.kal raat ko hi lauta dilli se. aur aaj dekha to chhaye huye ho yahaan-vahaan.. achchhaa laga.
होली पर प्रस्तुति सुन्दर
हमारे यहाँ (वाराणसी में) होली की ठिठोली मशहूर है.
ललित जी
शेखावाटी तो होली के हुडदंग के लिए मशहूर है फागुन लगते ही होली की धमाल ( फाग ) गाने का कार्यक्रम शुरू हो जाता है जो होली तक निर्बाद चलता है |
होली फाग के अवसर पर शेखावाटी के लोगो द्वारा गया फाग आप नरेश जी के " मेरी शेखावाटी ब्लॉग " पर (शेखावाटी में होली के रंग "घुन्घुट खोल दे ") सुन सकते है |
साथ ही रूप सिंह शेखावत और उनके कलाकार साथियों के गायन और नृत्य का मजा आप ज्ञान दर्पण की इस पोस्ट पर ले सकते है
गणपति को नमन कर होली का स्वागत . बहुत खूब .. .बहुत अच्छा लगा .....
बहुत सुंदर लगा यह होली का यह रंग
Bahut Sundar prastuti hai..accha laga
Aabhaar
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बड़ा रश्क़ होता है आप लोगों से...दिल्ली में, जहां मैं रहता हूं वहां सब अंग्रज़ी में "हैल्लो जी" बोलकर होली मनाने की एक्टिंग कर लेते हैं...(यहां)होली खेलने व फ़ाग गाने वाले तो गंवार होते हैं जी....
ek post diye detaa hoon guru
dekhiye
का करे जाय नगाडा लेके रमे जाय अईसे लगत हे
बहुत सुन्दर
बहुत बढिया जानकारी मिली. आभार.
रामराम.
बहुत खूब ललित भईया , आते है हम भी उधर ही ।