संसद में सवालों की बरसात है
सखी री,
मचो सियासी बवाल है
जनता पूछत सवाल है
मंहगाई डायन खाय जात है
हमार बाबु तो बहुतै कमात है
कांग्रेस का देखो हाल
उल्टी पड़ गयी सगरी चाल
लोकसभा में हुई बेहाल
संसद में सवालों की बरसात है
मंहगाई डायन खाय जात है
दीप कमल ने खोली पोल
बज गया देखो डमडम ढोल
मंहगाई में है किसका रोल
जिया बहुतै तड़फ़ात है
मंहगाई डायन खाय जात है
सिलेंडर के बढ गए दाम
डीजल पेट्रोल हुए बे लगाम
सब्जी का मत लो नाम
गरीब चटनी से काम चलात है
मंहगाई डायन खाए जात है।
मंहगी हो गयी है शिक्षा
बेरोजगार मांग रहे भिक्षा
कैसे हो जीने की इच्छा
किसान सल्फ़ास खाए जात है
मंहगाई डायन खाए जात है
हमार बाबु तो बहुतै कमात है
मचो सियासी बवाल है
जनता पूछत सवाल है
शिल्पकार
सखी री,
मचो सियासी बवाल है
जनता पूछत सवाल है
मंहगाई डायन खाय जात है
हमार बाबु तो बहुतै कमात है
कांग्रेस का देखो हाल
उल्टी पड़ गयी सगरी चाल
लोकसभा में हुई बेहाल
संसद में सवालों की बरसात है
मंहगाई डायन खाय जात है
दीप कमल ने खोली पोल
बज गया देखो डमडम ढोल
मंहगाई में है किसका रोल
जिया बहुतै तड़फ़ात है
मंहगाई डायन खाय जात है
सिलेंडर के बढ गए दाम
डीजल पेट्रोल हुए बे लगाम
सब्जी का मत लो नाम
गरीब चटनी से काम चलात है
मंहगाई डायन खाए जात है।
मंहगी हो गयी है शिक्षा
बेरोजगार मांग रहे भिक्षा
कैसे हो जीने की इच्छा
किसान सल्फ़ास खाए जात है
मंहगाई डायन खाए जात है
हमार बाबु तो बहुतै कमात है
मचो सियासी बवाल है
जनता पूछत सवाल है
शिल्पकार
मंहगी हो गयी है शिक्षा
बेरोजगार मांग रहे भिक्षा
कैसे हो जीने की इच्छा
किसान सल्फ़ास खाए जात है
सल्फ़ास भी बहुत महंगी हो गई
उधारी मे खरीद कर खानी पडती है.
बहुत लाजवाब लिखा.
रामराम
मंहगी हो गयी है शिक्षा
बेरोजगार मांग रहे भिक्षा
कैसे हो जीने की इच्छा
किसान सल्फ़ास खाए जात है
मानवीय संवेदना से ओत प्रोत अच्छी रचना....न जाने यह मंहगाई क्या क्या करवाएगी ...
अर किसनो जब मरना ही है तो सलफ़स खा कर क्यो मर रहे है, महंगाई के क्लारणो को मार कर मरो तो शहीद भी कहलाओगे, ओए देश के अन्य लोगो को एक उदाहरण भी दे जाओगे....
ललित जी बहुत सुंदर शव्दो मै आप ने जनत का दर्द व्यान किया, धन्यवाद
अच्छा प्रयास है, भगवान आपको इस डायन से मुक्त करे