जब
मौसम ने ली अंगड़ाई
बदरी ने झड़ी लगाई
सूरज ने आँखे चुराई
तब,प्रिय तेरी याद आई।
जब
अपनो ने की बेवफ़ाई
पवन ने अगन लगाई
घनघोर अमावश छाई
तब,प्रिय तेरी याद आई
जब,
निर्धनता बनी ठिठोली
कर्कश हुई मीठी बोली
सपनो ने सहेजा डेरा
तब,प्रिय तेरी याद आई
जब
दुश्मनों ने हाथ बढाए
ठग माथे चंदन लगाए
समय ने लगाया फ़ेरा
तब, प्रिय तेरी याद आई
जब
सीने में धड़का दिल
रोशनी हुई झिलमिल
जैसे आने लगा सवेरा
तब,प्रिय तेरी याद आई
जब
शिल्पकार भूल गया
ठक-ठक का मधुर गीत
पत्थरों से आता हुआ
तब,प्रिय तेरी याद आई
शिल्पकार
प्रिय तेरी याद आई
ब्लॉ.ललित शर्मा, शनिवार, 28 अगस्त 2010दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
ब्लॉ.ललित शर्मा, गुरुवार, 26 अगस्त 2010दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
हाड़-तोड़ भाग-दौड़
फ़िर दिमागी दौड़ भाग
जीवन में विश्राम नहीं
दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
झूठ-षड़यंत्र, जोड़-तोड़
फ़िर होती रही धोखा-धड़ी
जीवन में बस काम यही
दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
मेरे आगे, कोई मेरे पीछे
बढता जाता, ऐसे कैसे चलता
क्यों होता मेरा नाम नहीं
दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
शैतानी आँखे, उड़ती पाँखे
सरहद पार, हो आती हैं कैसे
क्या उसका कोई धाम नहीं
दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
अविता-कविता,ढोला-मारु
प्रेम-पींगे,मदमस्त यौवन
बताओ क्या ये बदनाम नहीं
दो रोटियाँ कितना दौड़ाती हैं?
शिल्पकार
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
ब्लॉ.ललित शर्मा, रविवार, 15 अगस्त 2010साहित्य की थारी
ब्लॉ.ललित शर्मा, शनिवार, 7 अगस्त 2010कवि रामेश्वर शर्मा जी का एक गीत
साहित्य की थारी
पुस्तक के पृष्ठों में सजी कविता की फ़ुलवारी है
प्यारे शब्द फ़ूलों जैसे पंक्ति क्यारी-क्यारी है।
गीत-गीतिका, कवित्त, सवैया,मुक्तक,छंद कविता
दोहा,सोरठा,चौपाई,कुंडलियाँ, काव्य सरिता
अतुकांत छणिकाओं की ये साध्य रचना प्यारी है।
पुस्तक के पृष्ठों में सजी कविता की फ़ुलवारी है
प्यारे शब्द फ़ूलों जैसे पंक्ति क्यारी-क्यारी है।
व्यथा,क्रांति,उल्लास,संवेदन,अनुसरज व अनुकरण
परिवर्तन,इतिहास,विकास,लिंग,वचन और व्याकरण
बंधी साधना की डोरी, भाषा भावना न्यारी है।
पुस्तक के पृष्ठों में सजी कविता की फ़ुलवारी है
प्यारे शब्द फ़ूलों जैसे पंक्ति क्यारी-क्यारी है।
श्लेष,यमक,पुनरुक्ति प्रकाश शब्द,अर्थ, उभयालंकार
छेका,लाटा,वृत्यानुप्राश,प्रतिकात्मक उपमालंकार
अतिश्योक्ति से अलंकृत करना लेख कविता जारी है।
पुस्तक के पृष्ठों में सजी कविता की फ़ुलवारी है
प्यारे शब्द फ़ूलों जैसे पंक्ति क्यारी-क्यारी है।
हास्य,वीर,अद्भुत,भय,क्रोध,शांत,विभत्स, करुण में
और मिलता श्रंगार बाल्यपन,वाचक व्यंजक लक्षण में
मुख्य पृष्ठ अंतिम तक पुस्तक साहित्य की थारी है।
पुस्तक के पृष्ठों में सजी कविता की फ़ुलवारी है
प्यारे शब्द फ़ूलों जैसे पंक्ति क्यारी-क्यारी है।
मचो सियासी बवाल है--संसद में सवालों की बरसात है--ललित शर्मा
ब्लॉ.ललित शर्मा, गुरुवार, 5 अगस्त 2010सखी री,
मचो सियासी बवाल है
जनता पूछत सवाल है
मंहगाई डायन खाय जात है
हमार बाबु तो बहुतै कमात है
कांग्रेस का देखो हाल
उल्टी पड़ गयी सगरी चाल
लोकसभा में हुई बेहाल
संसद में सवालों की बरसात है
मंहगाई डायन खाय जात है
दीप कमल ने खोली पोल
बज गया देखो डमडम ढोल
मंहगाई में है किसका रोल
जिया बहुतै तड़फ़ात है
मंहगाई डायन खाय जात है
सिलेंडर के बढ गए दाम
डीजल पेट्रोल हुए बे लगाम
सब्जी का मत लो नाम
गरीब चटनी से काम चलात है
मंहगाई डायन खाए जात है।
मंहगी हो गयी है शिक्षा
बेरोजगार मांग रहे भिक्षा
कैसे हो जीने की इच्छा
किसान सल्फ़ास खाए जात है
मंहगाई डायन खाए जात है
हमार बाबु तो बहुतै कमात है
मचो सियासी बवाल है
जनता पूछत सवाल है
शिल्पकार
अतृप्ति को स्वीकार करो--एक कविता---ललित शर्मा
ब्लॉ.ललित शर्मा,वह मुक्त होकर
मांग रही थी तृप्ति
खुले आम मंच से
एक अतृप्त भटक रहा था
आनंद की तलाश में
तृप्त होना क्यों चाहती हो तुम
अतृप्ति ही तो जीवन है
तृप्त होकर ठहर जाना
रुक जाना
क्यों, जीवन का अंत नहीं है?
अगर पड़ाव को मंजिल नहीं बनाना है
तो अतृप्ति को स्वीकार करो।