एक पुरानी कविता
आज सुबह-सुबह श्रीमती ने जगाया
हाथ में चाय का कप थमाया
तो मैंने पूछा- क्या टाइम हुआ है?
मुझे लगता नहीं कि अभी सबेरा हुआ है
बोली ब्रम्ह मुहूर्त का समय है,चार बजे हैं
और आप अभी तक खाट पर पडे हैं
मालूम नहीं आज नरक चौदस है
आज जो ब्रम्ह मुहूर्त में स्नान करता है
वो सीधा स्वर्ग में जाता है
वहां परम पद को पता है
जो सूर्योदय के बाद स्नान करता है
वो सारे नरकों को भोगता है
चलो उठो और नहाओ
यूँ घर में आलस मत फैलाओ
मैंने कहा मेडम कृपा करके
तुम मुझे तो सोने दो
मुझे नहीं जाना स्वर्ग में
यही नर्क में ही रहने दो
मैं स्वर्ग में नहीं रह सकता हूँ
वहाँ जाकर मै उकता जाऊंगा
सारे दोस्त तो नरक में ही मिलेंगे
इसलिए स्वर्ग में क्या लेने जाऊंगा?
उनके पास कई जन्मों का पुण्य संचित है
इसलिए हमारा नरक में ही रहना उचित है
फिर वहां रम्भा,मेनका, उर्वशी
जैसी अप्सराओं से तुम्हे डाह होगी
तुम्हारे होठों पर एक आह होगी
कोई लाभ नहीं होगा बाद पछताने में
इसलिए क्या बुरा है नरक आजमाने में
शूर्पनखा, ताड़का, मंथरा को देखकर
वहां मेरा मन वहां नहीं भटकेगा
आखिर आसमान का गिरा
खजूर पर ही अटकेगा ,
श्रीमती मान गई- और बोली
अगर ये बात है तो जाओ,सो जाओ
अगर नही नहाना है तो नरक में ही जाओ
मालूम नहीं है क्या? आज नरक चौदस है --- ललित शर्मा
ब्लॉ.ललित शर्मा, गुरुवार, 4 नवंबर 2010
लेबल:
नरक चौदस,
ललित शर्मा
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तनाव आपाधापी और कोलाहल से भरे इस जीवन में चेहरे पर कुछ देर के लिए मुस्कान आ जाये तो इस से बढकर क्या हो सकता है.
शुभकामनायें.
नहीं आपके लिए स्वर्ग ही बदा है. नरक चतुर्दशी आज शाम को ही लगने वाली है. दीपावली की शुभकामनाएं.
अगर नही नहाना है तो नरक में ही जाओ
यह मीठी झिड़की मुस्कुराहट ले आई
आपको, पारिवारिक सद्स्यों, वरिष्ठजनों को दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ
आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामाएं
फिर वहां रम्भा,मेनका, उर्वशी
जैसी अप्सराओं से तुम्हे डाह होगी
तुम्हारे होठों पर एक आह होगी
कोई लाभ नहीं होगा बाद पछताने में
आपकी युक्ति काम कर गयी :):)
दीपावली की शुभकामनाएँ ..
'असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय ' यानी कि असत्य की ओर नहीं सत्य की ओर, अंधकार नहीं प्रकाश की ओर, मृत्यु नहीं अमृतत्व की ओर बढ़ो ।
दीप-पर्व की आपको ढेर सारी बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं ! आपका - अशोक बजाज रायपुर
हा हा हा बने च लिखे हस हंसी संग हकीकत। मजा आ गे।
हा हा हा बने च लिखे हस हंसी संग हकीकत। मजा आ गे।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
हा हा हा ……
मुझे नहीं जाना स्वर्ग में
यही नर्क में ही रहने दो
मैं स्वर्ग में नहीं रह सकता हूँ
वहाँ जाकर मै उकता जाऊंगा
सारे दोस्त तो नरक में ही मिलेंगे
इसलिए स्वर्ग में क्या लेने जाऊंगा?…
शुभकामनायें…