शिल्पकार. Blogger द्वारा संचालित.

चेतावनी

इस ब्लॉग के सारे लेखों पर अधिकार सुरक्षित हैं इस ब्लॉग की सामग्री की किसी भी अन्य ब्लॉग, समाचार पत्र, वेबसाईट पर प्रकाशित एवं प्रचारित करते वक्त लेखक का नाम एवं लिंक देना जरुरी हैं.
रफ़्तार
स्वागत है आपका

गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

उल्लासोपरांत पतझड़ का मौसम आपके लिए---------स्वागत कीजिए इसका भी........ललित शर्मा

होली बीत गई अब पतझड़ आ गया है........वातवरण में गर्माहट है.........पेड़ों के पत्ते पीले पड़ रहे हैं........ वृक्ष अपना क्या कल्प कर रहे हैं इस मौसम में पूरण पत्ते छोड़ कर नए धारण कर रहे हैं जैसे कोई अपनी क्या चमकाने कपडे बदल रहा हों....... पलाश के पेड़ों पर तो लाली गजब की छाई है......... एक दिन उसे भी दिखाऊंगा......... चित्रों के माध्यम से........ होली के उल्लास के बाद अब कहीं जाकर खुमार उतरा है........ लेकिन मन कुछ अनमना सा है मौसम का असर है.......... पतझड़ का मौसम होता ऐसा ही है.......... जब रौनके देखी तो पतझड़ भी देखना है दुनिया का कटु सत्य है......... प्रकृति के साथ मनुष्य जुड़ा हुआ है........... लेकिन प्रकृति से यह भी सीख लेनी चाहिए की किसी भी तरह का उल्लास दो घडी का है और आप यदि विवेकी है तो इसका रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं............ नहीं तो फिर पतझड़ सामने ही है........... टूट कर पत्तों की तरह बिखर जाना है..........आइये पतझड़ पर एक कविता प्रस्तुत है....... आपका आशीर्वाद चाहूँगा......................

पतझड़ आया

पतझड़ का मौसम
वृक्ष पर एक भी पत्ता नहीं
यह मौसम पहले भी आता था
अब फिर लौटा
कोयल की कूक 
बुलबुल के नगमे खो गए हैं
दूर गहराईयों में 
उदास डाल पे बैठी है कोयल
तेज पवन के झोंकों से 
पत्तों के खड़कने की सदा आती है.
वृक्ष केंचुली बदल रहा है
यौवन की आस में
सूखे पत्ते तड़फ रहे हैं प्यास में
यही नियति हैं 
कल आंधी तुफानो में 
पत्तों ने दिया था भरपूर साथ
लेकिन आज सर हिला दिया
सारे सर चढ़े पत्ते गिर पड़े भरभरा कर
पत्ते कहते हैं
पहले भी हमने संकट काल में
विपदाओं से डट कर मुकाबला किया
लेकिन वृक्ष ने ही साथ छोड़ दिया
अबकी बार हमारे पांव उखड़ गए
आँधियों से मुकाबले में 
हम छलके हुए पारे की तरह बिखर गए
यह तो नियति का खेल है
कुछ देर यौवन का उन्माद देखना है
फिर टूट कर समाहित हो जाना है
इसी दुनिया की धुल में
गुम हो जाना है बिना किसी नाम के
बेनाम हो कर/ मनुष्य की तरह 


आपका 
शिल्पकार,

Comments :

11 टिप्पणियाँ to “उल्लासोपरांत पतझड़ का मौसम आपके लिए---------स्वागत कीजिए इसका भी........ललित शर्मा”
विनोद कुमार पांडेय ने कहा…
on 

पतझड़ के मौसम का बढ़िया काव्यमय वर्णन ...सुंदर प्रस्तुति...धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…
on 

उम्दा चित्रण ललित भाई..बहुत बढ़िया!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
on 

बहुत सुंदर चित्रण किया आपने.

रामराम.

संगीता पुरी ने कहा…
on 

पतझड भी तो कोई संदेश देती ही है .. सुंदर रचना के लिए आपको बधाई !!

vandana gupta ने कहा…
on 

yahi to srishti ka chakra hai ........har baar mausam badalta hai jis tarah jeevan mein bhi subah shaam aati hain usi tarah.

شہروز ने कहा…
on 

आप यदि विवेकी है तो इसका रचनात्मक उपयोग कर सकते हैं...


lalitji aapne to saarthak upyog kar liya..bahut khoob!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…
on 

बहुत बढ़िया!

राज भाटिय़ा ने कहा…
on 

बहुत सुंदर रचना,्धन्यवाद

M VERMA ने कहा…
on 

पतझड़ न हो तो शायद बसंत भी फीका लगे.
सुन्दर प्रस्तुति

मनोज कुमार ने कहा…
on 

बहुत अच्छी कविता।

Anamikaghatak ने कहा…
on 

पतझड़ को कविता का विषय बनाया आपने और उस ओअर भी जान डाल दी………………बहुत ही अच्छ लिखा है…………………।सुन्दर

 

लोकप्रिय पोस्ट

पोस्ट गणना

FeedBurner FeedCount

यहाँ भी हैं

ईंडी ब्लागर

लेबल

शिल्पकार (94) कविता (65) ललित शर्मा (56) गीत (8) होली (7) -ललित शर्मा (5) अभनपुर (5) ग़ज़ल (4) माँ (4) रामेश्वर शर्मा (4) गजल (3) गर्भपात (2) जंवारा (2) जसगीत (2) ठाकुर जगमोहन सिंह (2) पवन दीवान (2) मुखौटा (2) विश्वकर्मा (2) सुबह (2) हंसा (2) अपने (1) अभी (1) अम्बर का आशीष (1) अरुण राय (1) आँचल (1) आत्मा (1) इंतजार (1) इतिहास (1) इलाज (1) ओ महाकाल (1) कठपुतली (1) कातिल (1) कार्ड (1) काला (1) किसान (1) कुंडलियाँ (1) कुत्ता (1) कफ़न (1) खुश (1) खून (1) गिरीश पंकज (1) गुलाब (1) चंदा (1) चाँद (1) चिडिया (1) चित्र (1) चिमनियों (1) चौराहे (1) छत्तीसगढ़ (1) छाले (1) जंगल (1) जगत (1) जन्मदिन (1) डोली (1) ताऊ शेखावाटी (1) दरबानी (1) दर्द (1) दीपक (1) धरती. (1) नरक चौदस (1) नरेश (1) नागिन (1) निर्माता (1) पतझड़ (1) परदेशी (1) पराकाष्ठा (1) पानी (1) पैगाम (1) प्रणय (1) प्रहरी (1) प्रियतम (1) फाग (1) बटेऊ (1) बाबुल (1) भजन (1) भाषण (1) भूखे (1) भेडिया (1) मन (1) महल (1) महाविनाश (1) माणिक (1) मातृशक्ति (1) माया (1) मीत (1) मुक्तक (1) मृत्यु (1) योगेन्द्र मौदगिल (1) रविकुमार (1) राजस्थानी (1) रातरानी (1) रिंद (1) रोटियां (1) लूट (1) लोकशाही (1) वाणी (1) शहरी (1) शहरीपन (1) शिल्पकार 100 पोस्ट (1) सजना (1) सजनी (1) सज्जनाष्टक (1) सपना (1) सफेदपोश (1) सरगम (1) सागर (1) साजन (1) सावन (1) सोरठा (1) स्वराज करुण (1) स्वाति (1) हरियाली (1) हल (1) हवेली (1) हुक्का (1)
hit counter for blogger
www.hamarivani.com