शिल्पकार. Blogger द्वारा संचालित.

चेतावनी

इस ब्लॉग के सारे लेखों पर अधिकार सुरक्षित हैं इस ब्लॉग की सामग्री की किसी भी अन्य ब्लॉग, समाचार पत्र, वेबसाईट पर प्रकाशित एवं प्रचारित करते वक्त लेखक का नाम एवं लिंक देना जरुरी हैं.
रफ़्तार
स्वागत है आपका

गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

अबके वसंत में ------------ ललित शर्मा

महुआ बीनती
वह अनमनी सी लड़की
हँसती है जब
झरते हैं फूल, महुआ के
मन करता है उसके जूड़े में
खोंस दूं कुछ फूल टेसू के
इस वसंत में
उसे पहना दूं हार
सुर्ख सेमल के फूलों का
महुए के फूल बीनती वह
अभिसारिका
जब नदी किनारे बैठ कर
पैरों से छपछपाती है जल
तो उससे बनता है तीरथगढ़
धुंआधार जैसा जल प्रपात
उसके पायल की झंकार
देती झरनों को स्वर
उड़ती है बहुरंगी तितलियाँ
सुनने पायल की झंकार
सामने बैठा पंडुक जोड़ा
चुगता है मनियारी गोटी
कनखियों से देखता मेरी ओर
उड़ रहे हैं धरसा में
शाख से जुदा पीले पात
मन करता है खोंस दूँ
टेसू के फ़ूल और दोना पान
जूड़े में इस वसंत में

Comments :

13 टिप्पणियाँ to “अबके वसंत में ------------ ललित शर्मा”
संगीता पुरी ने कहा…
on 

वसंत का दृश्‍य समेटती रचना ..
बिल्‍कुल नेचुरल भावाभिव्‍यक्ति !!

Rahul Singh ने कहा…
on 

मधु (चैत) मास, महुए की गंध और पलाश की लाली... नैसर्गिक काव्‍य प्रवाह.

संध्या शर्मा ने कहा…
on 

मन करता है उसके जूड़े में
खोंस दूं कुछ फ़ूल टेसू के
इस वसंत में
उसे पहना दूं हार...
वाह... बहुत सुन्दर अभिलाषा... वसंत खिल उठा पायल की झंकार गूंज उठी, हवाओं में गीत लहराने लगे...शुभकामनाएं

दर्शन कौर धनोय ने कहा…
on 

बसंत का आगमन और महुए की खुशबु से सराबोर यह रचना ...सेमल के फूलो की सुन्दरता लिए मन को भा गई जी ......

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…
on 

वाह-वाह कल्पना के सागर में डूब ही गए !

Crazy Codes ने कहा…
on 

lalit ji kavita likhta jaroor hun par kambakht samjh mein nahi aati mujhe.. wasie padh kar achha lag raha tha... ;)

Sunita Sharma ने कहा…
on 

tesu ke ful aur basant ke sunder chitran ke liye blog guru ko bahut bahut aabhar

कमल शुक्ला ने कहा…
on 

महुवे की महक से मह-माहती कविता

P.N. Subramanian ने कहा…
on 

अति सुन्दर. आपकी पिछली पोस्ट में टेसू के फूल दिखे थे और अपना भी मन कुछ कुछ ऐसा ही बोलने लगा.मन का क्या करें वह तो बुढा नहीं रहा.

Gyan Darpan ने कहा…
on 

बहुत बढ़िया रचना

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…
on 

अरे वाह ! बस खूबसूरत !

प्रज्ञा पांडेय ने कहा…
on 

अरे वाह ! बस खूबसूरत !

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
on 

बहुत सुंदर बसंत का चित्रण

 

लोकप्रिय पोस्ट

पोस्ट गणना

FeedBurner FeedCount

यहाँ भी हैं

ईंडी ब्लागर

लेबल

शिल्पकार (94) कविता (65) ललित शर्मा (56) गीत (8) होली (7) -ललित शर्मा (5) अभनपुर (5) ग़ज़ल (4) माँ (4) रामेश्वर शर्मा (4) गजल (3) गर्भपात (2) जंवारा (2) जसगीत (2) ठाकुर जगमोहन सिंह (2) पवन दीवान (2) मुखौटा (2) विश्वकर्मा (2) सुबह (2) हंसा (2) अपने (1) अभी (1) अम्बर का आशीष (1) अरुण राय (1) आँचल (1) आत्मा (1) इंतजार (1) इतिहास (1) इलाज (1) ओ महाकाल (1) कठपुतली (1) कातिल (1) कार्ड (1) काला (1) किसान (1) कुंडलियाँ (1) कुत्ता (1) कफ़न (1) खुश (1) खून (1) गिरीश पंकज (1) गुलाब (1) चंदा (1) चाँद (1) चिडिया (1) चित्र (1) चिमनियों (1) चौराहे (1) छत्तीसगढ़ (1) छाले (1) जंगल (1) जगत (1) जन्मदिन (1) डोली (1) ताऊ शेखावाटी (1) दरबानी (1) दर्द (1) दीपक (1) धरती. (1) नरक चौदस (1) नरेश (1) नागिन (1) निर्माता (1) पतझड़ (1) परदेशी (1) पराकाष्ठा (1) पानी (1) पैगाम (1) प्रणय (1) प्रहरी (1) प्रियतम (1) फाग (1) बटेऊ (1) बाबुल (1) भजन (1) भाषण (1) भूखे (1) भेडिया (1) मन (1) महल (1) महाविनाश (1) माणिक (1) मातृशक्ति (1) माया (1) मीत (1) मुक्तक (1) मृत्यु (1) योगेन्द्र मौदगिल (1) रविकुमार (1) राजस्थानी (1) रातरानी (1) रिंद (1) रोटियां (1) लूट (1) लोकशाही (1) वाणी (1) शहरी (1) शहरीपन (1) शिल्पकार 100 पोस्ट (1) सजना (1) सजनी (1) सज्जनाष्टक (1) सपना (1) सफेदपोश (1) सरगम (1) सागर (1) साजन (1) सावन (1) सोरठा (1) स्वराज करुण (1) स्वाति (1) हरियाली (1) हल (1) हवेली (1) हुक्का (1)
hit counter for blogger
www.hamarivani.com