शकुन्तला तरार की एक कविता "जंगली सौंदर्य"
जंगली सौंदर्य
बैलाडिला लौह अयस्क प्रोजेक्ट
ऊँचा नाम ऊँचा काम
नये-नये लोग
अचानक बस्तर आना
जंगली सौंदर्य
उफ!
परिणति
अनब्याही मां
नाबालिग मां
घरेलू काम के एवज में
लुटी हुई अस्मत
दैहिक शोषण की शिकार बालाएं
चंद टुकड़े रुपयों के
लुटी हुई अस्मत के बदले, ठगी हुई मानसिकता
पुनः परिणति
दैहिक शोषकों से जबरिया ब्याह
अधिकारियों द्वारा स्थानांतरण, तलाक अथवा पलायन
क्या बचा?
गोद में बच्चे और तिरस्कार, उपेक्षा
परदेशियों द्वारा ठगी का शिकार
और
आज भी जारी है
बदस्तूर
अधिकारियों के
व्यापारियों के
कुत्सित भावनाओं की
कुत्सित निगाहों की
घृणित मानसिकता की
और वही भोलापन
अल्हड़पन
और
निर्द्वन्द्व हंसी ।
जंगली सौंदर्य
बैलाडिला लौह अयस्क प्रोजेक्ट
ऊँचा नाम ऊँचा काम
नये-नये लोग
अचानक बस्तर आना
जंगली सौंदर्य
उफ!
परिणति
अनब्याही मां
नाबालिग मां
घरेलू काम के एवज में
लुटी हुई अस्मत
दैहिक शोषण की शिकार बालाएं
चंद टुकड़े रुपयों के
लुटी हुई अस्मत के बदले, ठगी हुई मानसिकता
पुनः परिणति
दैहिक शोषकों से जबरिया ब्याह
अधिकारियों द्वारा स्थानांतरण, तलाक अथवा पलायन
क्या बचा?
गोद में बच्चे और तिरस्कार, उपेक्षा
परदेशियों द्वारा ठगी का शिकार
और
आज भी जारी है
बदस्तूर
अधिकारियों के
व्यापारियों के
कुत्सित भावनाओं की
कुत्सित निगाहों की
घृणित मानसिकता की
और वही भोलापन
अल्हड़पन
और
निर्द्वन्द्व हंसी ।
बहुत मार्मिक प्रस्तुति
उफ़ बेहद मार्मिक चित्रण किया है।
अच्छी सूरत भी क्या बुरी शै है
जिसने डाली नज़र बुरी नज़र डाली॥
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल कल 11 - 08 - 2011 को यहाँ भी है
नयी पुरानी हल चल में आज- समंदर इतना खारा क्यों है -
बहुत ही उम्दा रचना !
dil aur samaj ko jhakjhorati sundar rachanadil aur samaj ko jhakjhorati sundar rachana
प्रत्येक शब्द मन को व्यथित कर गया ।
बहुत मार्मिक रचना है।
सादर
nihshabd...
majooriyon ko khareedna kitna asaan ho gaya hai...
सम्मान के योग्य आदरणीया शकुन्तला तरार की मजूरिनों की व्यथा को उकेरती भाव जगत में रोपती कविता "जंगली सौन्दर्य .
साल गिरह मुबारक यौमे आज़ादी की ।
http://veerubhai1947.blogspot.com/
रविवार, १४ अगस्त २०११
संविधान जिन्होनें पढ़ा है .....
वर्तमान पोस्ट आपकी कितनी प्रासंगिक और मौजू है इस पर्व पर इसे शब्दों में नहीं ज़ज्बातों से बांचना ,बूझना होगा ,गरीबी जो करादे सो कम .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
Sunday, August 14, 2011
चिट्ठी आई है ! अन्ना जी की PM के नाम !
समसामयिक विमर्श करती कविता के लिए शकुन्तला तरार जी को हार्दिक बधाई...
बहुत सटीक और मार्मिक प्रस्तुति..
शकुंतला जी की कविता यहाँ देखकर अच्छा लगा ।
बहुत खूब..सुन्दर रचना, प्रभावशाली पंक्तियाँ।
सटीक और मार्मिक