नही पढ पाता मैं
भावोत्पादक कविताएं
सीधे दिल में उतरती हैं
और निर्झर बहने लगता है
एक एक शब्द
अंतर में उतर कर
बिंध डालता है मुझे
आप्लावित दृग
देख नहीं पाते
छवि तुम्हारी
बिसरने की कल्पना मात्र
तार तार कर देती है
जीवन रेखा को
भावोत्पादक कविताएं
सीधे दिल में उतरती हैं
और निर्झर बहने लगता है
एक एक शब्द
अंतर में उतर कर
बिंध डालता है मुझे
आप्लावित दृग
देख नहीं पाते
छवि तुम्हारी
बिसरने की कल्पना मात्र
तार तार कर देती है
जीवन रेखा को
जीवन की सरस कविता ...
नियती कलश की
अंतिम बूंदों में
विदा बेला पर
जीवन रेखा के
समाप्ति काल तक
ऐसे लगी रहेगी
दृष्टि उस द्वारे पर
जैसे कोई मोर
बैठा ताकता है
रिक्त होते मेह
बहुत बढ़िया
बहुत सुन्दर ...
बहुत बढ़िया शब्द चित्र ..
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