नदियों में नाथ
शिवनाथ नदी के तीर बसा हुआ
सूंदर सा गाँव रामपुर,
जहाँ पीपल की छांव,
मांझी की नाव,
नदी तट पर जलक्रीड़ा करती सोन मछरिया,
सुंदर साधारण घर-दुवरिया,
मंथर जल को
पैरों की छपछपाहट से उकसाती छोरी,
महादेव संग बैठी गौरी
सब कुछ है इस गाँव रामपुर में
कलचुरीकाल का त्रिस्तरीय शिवालय,
जिसका नंदी खंड खंड हो बाहर पड़ा
अपनी दूर्दशा पर टसुए बहा रहा है,
हाथ जोड़े नृपति
जीर्णों उद्धार संरक्षण की बाट जोह रहा है।
यायावर ने यह खुबसूरत स्थान देखा
तो मन मचल गया,
नदिया, गोरी, छोरी, छावं,
पीपल देख कर वैराग्य न धर ले
इसलिए टहल टल गया।
शिवनाथ नदी के तीर बसा हुआ
सूंदर सा गाँव रामपुर,
जहाँ पीपल की छांव,
मांझी की नाव,
नदी तट पर जलक्रीड़ा करती सोन मछरिया,
सुंदर साधारण घर-दुवरिया,
मंथर जल को
पैरों की छपछपाहट से उकसाती छोरी,
महादेव संग बैठी गौरी
सब कुछ है इस गाँव रामपुर में
कलचुरीकाल का त्रिस्तरीय शिवालय,
जिसका नंदी खंड खंड हो बाहर पड़ा
अपनी दूर्दशा पर टसुए बहा रहा है,
हाथ जोड़े नृपति
जीर्णों उद्धार संरक्षण की बाट जोह रहा है।
यायावर ने यह खुबसूरत स्थान देखा
तो मन मचल गया,
नदिया, गोरी, छोरी, छावं,
पीपल देख कर वैराग्य न धर ले
इसलिए टहल टल गया।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (04-07-2014) को "स्वप्न सिमट जाते हैं" {चर्चामंच - 1664} पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सुंदर रचना
वाह बहुत खूब बेहतरीन रचना
बहुत सुंदर रचना प्रस्तुति ...
उम्दा लिखावट ऐसी लाइने बहुत कम पढने के लिए मिलती है धन्यवाद् (सिर्फ आधार और पैनकार्ड से लिजिये तुरंत घर बैठे लोन)