नही पढ पाता मैं
भावोत्पादक कविताएं
सीधे दिल में उतरती हैं
और निर्झर बहने लगता है
एक एक शब्द
अंतर में उतर कर
बिंध डालता है मुझे
आप्लावित दृग
देख नहीं पाते
छवि तुम्हारी
बिसरने की कल्पना मात्र
तार तार कर देती है
जीवन रेखा को
भावोत्पादक कविताएं
सीधे दिल में उतरती हैं
और निर्झर बहने लगता है
एक एक शब्द
अंतर में उतर कर
बिंध डालता है मुझे
आप्लावित दृग
देख नहीं पाते
छवि तुम्हारी
बिसरने की कल्पना मात्र
तार तार कर देती है
जीवन रेखा को