आज मरने आ खड़ा है रावण मेरे गाँव का
लम्बा तगड़ा हट्ठा कट्टा रावण मेरे गाँव का
काले काले बादल झमाझम बरस रहे हैं खूब
आसमान से होड़ लेता रावण मेरे गाँव का
आतिशबाजी होगी तो धूर में मिल जाएगा
नेता जी के हाथों मरेगा रावण मेरे गाँव का
बारुद भरी देह पर रंग बिरंगे हैं अलंकरण
आज नहीं कल जलेगा रावण मेरे गाँव का
गुब्बारे और गोलगप्पे की दुकाने है सजी
रावण भाटा में बुलाता रावण मेरे गाँव का
हर बरस होता दसहरा और रावण दहन भी
फ़िर भी नहीं मरता है रावण मेरे गाँव का
लम्बा तगड़ा हट्ठा कट्टा रावण मेरे गाँव का
काले काले बादल झमाझम बरस रहे हैं खूब
आसमान से होड़ लेता रावण मेरे गाँव का
आतिशबाजी होगी तो धूर में मिल जाएगा
नेता जी के हाथों मरेगा रावण मेरे गाँव का
बारुद भरी देह पर रंग बिरंगे हैं अलंकरण
आज नहीं कल जलेगा रावण मेरे गाँव का
गुब्बारे और गोलगप्पे की दुकाने है सजी
रावण भाटा में बुलाता रावण मेरे गाँव का
हर बरस होता दसहरा और रावण दहन भी
फ़िर भी नहीं मरता है रावण मेरे गाँव का
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति .. आपकी इस रचना के लिंक की प्रविष्टी सोमवार (14.10.2013) को ब्लॉग प्रसारण पर की गयी है ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें .
हर बरस होता दसहरा और रावण दहन भी
फ़िर भी नहीं मरता है रावण मेरे गाँव का
सुंदर रचना अभिव्यक्ति ... बधाई
दशहरा पर्व पर हार्दिक बधाई शुभकामनाएं
रावण की आत्मा जलने वालों में जिन्दा रहती है ,जलती है केवल पुतला |
अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
बहुत खूब वर्तमान में बहुत से मानसिक रावण हमारे समाज में हे उनको पहचानना और लिखना सराहनीय हे ।आपकी श्रेष्ठ रचनाओं के लिए बधाई