माँ-पत्नी और बेटी
पृथ्वी गोल घुमती है
अयोध्या नगरी मे भगवान रामचंद्र जी ने जन्म लिया-छत्तीसगढ प्रदेश (दक्षिन कोसल) उनका ननिहाल है। यहां पर भगवान का जन्मदिवस धुम धाम से मनाया जाता है, लोक गीतों में भगवान की स्तुति की जाती है। प्रस्तुत है परम्परागत लोक गीत-----
आज नवरात्र पर फ़िर एक गीत लेकर आया हुँ भाई दुकालु राम यादव जी का। आप सुने अद्भुत गीत है आनंद अवश्य आएगा।
नवरात्र पर्व पर आज सुनिए दुकालु राम यादव जी के द्वारा गाया गया जस गीत "महामाया के दर्शन कर लो"
अभी नवरात्री मे माई के सेवा गीत गुंज रहे हैं तथा मेरी इच्छा है कि आपको सुनाए भी जाएं। इसके लिए मेरी कोशिश जारी है। सफ़लता मिलते ही सुनाने के व्यवस्था करुंगा। प्रस्तुत है माता का एक जसगीत (यश गीत)
आबे आबे ओ मोर दाई
आबे आबे ओ मोर दाई, हिरदे के गाँव मा
तोर मया के छांव मा रहितेंव तोर पांव मा
आबे आबे ओ मोर दाई, हिरदे के गाँव मा
मंदिर के घंटी घुमर, कान मा सुनाए
कान मा सुनाए ओ मोर दाई
जानो मानो अइसे लगथे
मोला तै बलाए-मोला तै बलाए ओ मोर दाई
तोर जोत मोर दाई, जग मा जगमगाए
जग मा जग मगाए ओ मोर दाई
तीन लोक चौदह भुवन, तोर जस ल गाए
तोर जस ला गाए ओ मोर दाई
कइसे मै मनाऊ माँ, लइका तोर आवंव माँ
आबे आबे ओ मोर दाई, हिरदे के गाँव मा
ब्रम्हा, बिस्णु, संकर तोला,माथ ये नवाये
माथे ये नवाये ओ मोर दाई
जग के जगदम्बा दाई, जग ल तैं जगाये
जग ल तैं जगाये ओ मोर दाई
करे तैं हियांव मा मया ला पियावं मा
आबे आबे ओ मोर दाई, हिरदे के गाँव मा
रुप तोर कतको दाई, कोन बता पाये
कोन बता पाये ओ मोर दाई
कण कण मा बसे ओ दाई सांस मा समाये
सांस मा समाए ओ मोर दाई
बिनती ला सुनाववं माँ, भाग ला सहरावं माँ
आबे आबे ओ मोर दाई, हिरदे के गाँव मा
आपका
शिल्पकार
कुछ शब्दार्थ
आबे=आईए
मोर=मेरी
दाई=माँ माता
रहितेवं=रहता
तोर=तेरे
पांव=चरण
हिरदे=हृदय
मोला=मुझे
बलाए=बुलाया
अइसे=ऐसे
लागथे=लगता है
मया=प्रेम-स्नेह
आववं=हुँ
सुनाववं=सुनाऊँ
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