हम मानते हैं कि ईश्वर नाम की कोई अदृश्य शक्ति है जो इस संसार,चराचर जगत को चला रही है नियंत्रित कर रही है. पूरा ब्रह्माण्ड उसी के अधीन है. हम मानते हैं कि संसार की सत्ता के चलाने वाले वही हैं. हम सुखों और दुखों दोनों में उनको ही याद करते हैं. यह प्रार्थना मैंने बहुत पहले लिखी थी, आज आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. कभी कभी मैं भी गुनगुना लेता हूँ. आप भी गुनगुनाइए तथा पसंद आये तो आशीष दीजिये. अगर कोई गा दे तो सोने में सुहागा समझुंगा।
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो
राह ऐसी दिखाओ प्रभु, दुखियों की सेवा हो
निर्बल को बल मिल जाये तेरे प्रेम की मेवा हो
हम रहें समीप तुम्हारे,तुम पास गगन कर दो
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो
निर्धन को धन मिल जाये, योगी को बन मिल जाये
इस धरती का कर्ज उतारें,हमें ऐसा जनम मिल जाये
जल जाएँ सभी दुर्गुण, सांसों में अगन भर दो
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो
प्रेम हिरदय में भर जाये,तुम सबका जीवन हरसाओ
बाधाएं दूर हो सबकी, तुम ऐसी करुणा बरसाओ
जीवन हो सरल सबका, काँटों को सुमन कर दो
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो
आपका
शिल्पकार
वाह सर जी वाह , आप इतने मार्मिक हो पहली बार पता चला , लाजवाब कविता लिखी है आपने ।
सुंदर प्राथना
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो
प्रभु जी मेरा ब्लॉग हिट करादो
प्रभु जी टिप्पणियों की भी बारिश करवा दो |
बढ़िया प्रार्थना :)
आमीन...
जय हिंद...
आमीन!
...प्रार्थना ....प्रार्थना...बेहद प्रसंशनीय अभिव्यक्ति !!!
प्रात: स्मरणीय प्रार्थना . धन्यवाद
बहुत जबरदस्त...मैं गा देता मगर क्या बताऊँ गला साथ नहीं दे रहा है. :)
यह आपने ज़रूर इतनी बड़ी-बड़ी मूंछें रखने से पहले लिखी होगी :)
हुत ही सुन्दर प्रार्थना गीत है!
इसे गवाने का काम तो
अलबेला खत्री ही कर सकते हैं!
मैंने भी 30 गीत इनको भेज रखे हैं।
आप भी भेज दो!
क्यू में लग जायेगी!
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर द
बहुत सुन्दर प्रार्थना है सही मे हर वक्त गुनगुनाने लायक है धन्यवाद्
प्रार्थना प्रभु से भगत का आत्मीय सम्वाद है
है भले खुद के लिये पर सभी का कल्याण है
लेने वाला लेते लेते थक भले जाये मगर
देने वाले प्रभू का तो सिर्फ़ दाता नाम है
योगी को बन मिल जाए, बन का अर्थ समझ नहीं आया। आपकी प्रार्थना अच्छी है।
"निर्धन को धन मिल जाये, योगी को बन मिल जाये
इस धरती का कर्ज उतारें,हमें ऐसा जनम मिल जाये
जल जाएँ सभी दुर्गुण, सांसों में अगन भर दो"
बहुत सुन्दर प्रार्थना!
बहुत सुंदर प्रार्थना. शुभकामनाएं.
रामराम.
राह ऐसी दिखाओ प्रभु, दुखियों की सेवा हो
निर्बल को बल मिल जाये तेरे प्रेम की मेवा हो
हम रहें समीप तुम्हारे,तुम पास गगन कर दो
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो
सुन्दर प्रार्थना ललित जी लेकिन ये तो सतयुग की बाते है आजकल घोर कलयुग चल रहा है !
ललित जी
प्यारी सरल और कालजयी कविता है
यही भारतीय जनमानस की कविता है सिर्फ साहित्यकारों के नहीं
बधाई
प्रभु जी मन में अमन कर दो
मेरे जीवन में लगन भर दो।।
वाह्! बहुत ही सुन्दर प्रार्थना!! एकदम मन को छू गई........
बेहतरीन प्रार्थना। लाजवाब।
@Dr. Smt. ajit gupta,
यहां पर बन का अर्थ साधना करने के लिए एकांत हेतु प्रयुक्त हुआ है।
वैसे बन-वन के अपभ्रंस के रुप मे स्थानीय बोली-भाषा मे प्रयुक्त होता है।
सरल शब्दों से रचित मनभावन प्रार्थना......
बहुत सुन्दर कविता भैया.
कविताओ मे ईश्वर को पढना हमेशा आनन्ददायक लगता है. धन्यवाद.
नहीं लगता कि प्रभू भी इसे टाल पायेंगे।
बहूऊऊऊऊऊऊत ही खूबसूरत प्रार्थना ललित जी, पढ़ते ही गुनगुनाने का मन करने लगा..
जय हिंद.... जय बुंदेलखंड...
दिल से निकली प्रार्थना । अति सुन्दर भाव ।
nice
बहुत सुन्दर प्रार्थना है ललित जी,
भावमयी ...
अब ये कविता पढने के बाद प्रभुजी कहाँ रुक पायेंगे ...चले ही आयेंगे आशीर्वाद देने ...
शुभ हो ...!!
"निर्धन को धन मिल जाये, योगी को बन मिल जाये
इस धरती का कर्ज उतारें,हमें ऐसा जनम मिल जाये
जल जाएँ सभी दुर्गुण, सांसों में अगन भर दो"
यही तो अपना भी मन चाहता है.
जल जाएँ सभी दुर्गुण, सांसों में अगन भर दो"
दे ऐसा उपहार सभी को, दुनिया को मगन कर दो
लागिस के ललित भाई कतेक भावुक घलो हे