tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post7586504723156459499..comments2023-10-04T12:55:32.845+05:30Comments on शिल्पकार के मुख से: जहाँ फिर ना कोई अग्नि परीक्षा होतीब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-38680655178065335992009-10-04T02:30:53.895+05:302009-10-04T02:30:53.895+05:30भाई जी,
एक बेहतर कविता....
पर गहरे रंग की पृष्ठभू...भाई जी,<br />एक बेहतर कविता....<br /><br />पर गहरे रंग की पृष्ठभूमि में काले रंग में अक्षर पहले तो दिखे ही नहीं ( जैसे कि मैं थोड़ा चमक कम ही रखता हूं )...<br /><br />जब चमक बढ़ाई तो कविता नमूदार हुई...वरना फोटो ही दिखता था...<br /><br />या तो पृष्थभूमि हल्की करें...या शब्दों को हल्का करें....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-27206410896103616912009-10-03T11:40:45.589+05:302009-10-03T11:40:45.589+05:30ललित जी काफी मेहनत किया होगा आपने ऐसे अद्भुत रचना ...ललित जी काफी मेहनत किया होगा आपने ऐसे अद्भुत रचना लिखने के लिए धन्यवादMishra Pankajhttps://www.blogger.com/profile/02489400087086893339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-44010786504632967382009-10-03T10:53:16.323+05:302009-10-03T10:53:16.323+05:30स्वच्छ हिन्दोस्तान की ही जरुरत है हमे धन्यवादस्वच्छ हिन्दोस्तान की ही जरुरत है हमे धन्यवादब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-18620087045096019612009-10-03T10:52:04.586+05:302009-10-03T10:52:04.586+05:30निर्मला जी आपका स्नेह ही हमारी अक्षय पुंजी है,
आशी...निर्मला जी आपका स्नेह ही हमारी अक्षय पुंजी है,<br />आशीर्वाद बनाए रखिए,ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-44510402085513787922009-10-03T10:35:31.687+05:302009-10-03T10:35:31.687+05:30काश! ये धरती ही फट जाती
उसमे समां जाती
सीता की त...काश! ये धरती ही फट जाती <br />उसमे समां जाती <br />सीता की तरह <br />जहाँ फिर ना कोई <br />अग्नि परीक्षा होती <br />बढ़ जाती उस अंतहीन <br />पथ की ओर <br />जहाँ सिर्फ मै होती<br />और सिर्फ मै होती <br />बहुत भावमय रचना है औरत के लिये तू पूरा जीवन अग्निपरीक्षा है शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-15682195392102939432009-10-03T10:31:38.682+05:302009-10-03T10:31:38.682+05:30उस दासता को
कैसे भूल जाऊँ?
उस कबीले के
कानून को ...उस दासता को <br />कैसे भूल जाऊँ?<br />उस कबीले के <br />कानून को <br />जिसका पालन करना ही<br />मेरी विरासत हैं<br />कैसे भूल जाऊँ?<br /><br />gr8Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.com