शकुन्तला तरार की एक कविता "जंगली सौंदर्य"
जंगली सौंदर्य
बैलाडिला लौह अयस्क प्रोजेक्ट
ऊँचा नाम ऊँचा काम
नये-नये लोग
अचानक बस्तर आना
जंगली सौंदर्य
उफ!
परिणति
अनब्याही मां
नाबालिग मां
घरेलू काम के एवज में
लुटी हुई अस्मत
दैहिक शोषण की शिकार बालाएं
चंद टुकड़े रुपयों के
लुटी हुई अस्मत के बदले, ठगी हुई मानसिकता
पुनः परिणति
दैहिक शोषकों से जबरिया ब्याह
अधिकारियों द्वारा स्थानांतरण, तलाक अथवा पलायन
क्या बचा?
गोद में बच्चे और तिरस्कार, उपेक्षा
परदेशियों द्वारा ठगी का शिकार
और
आज भी जारी है
बदस्तूर
अधिकारियों के
व्यापारियों के
कुत्सित भावनाओं की
कुत्सित निगाहों की
घृणित मानसिकता की
और वही भोलापन
अल्हड़पन
और
निर्द्वन्द्व हंसी ।
जंगली सौंदर्य
बैलाडिला लौह अयस्क प्रोजेक्ट
ऊँचा नाम ऊँचा काम
नये-नये लोग
अचानक बस्तर आना
जंगली सौंदर्य
उफ!
परिणति
अनब्याही मां
नाबालिग मां
घरेलू काम के एवज में
लुटी हुई अस्मत
दैहिक शोषण की शिकार बालाएं
चंद टुकड़े रुपयों के
लुटी हुई अस्मत के बदले, ठगी हुई मानसिकता
पुनः परिणति
दैहिक शोषकों से जबरिया ब्याह
अधिकारियों द्वारा स्थानांतरण, तलाक अथवा पलायन
क्या बचा?
गोद में बच्चे और तिरस्कार, उपेक्षा
परदेशियों द्वारा ठगी का शिकार
और
आज भी जारी है
बदस्तूर
अधिकारियों के
व्यापारियों के
कुत्सित भावनाओं की
कुत्सित निगाहों की
घृणित मानसिकता की
और वही भोलापन
अल्हड़पन
और
निर्द्वन्द्व हंसी ।