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हमने लगाना चाहा मुहब्बत का शजर!!

हमने लगाना चाहा मुहब्बत का शजर
मौसम मे किसने घोला है  बहुत जहर
मामला संगीन हुआ वो लाए हैं खंजर
पता नही कब दिखाए लहुलुहान मंजर


बहुत ख़ामोशी होती है तूफान के पहले
लावा पिघलता ही है फौलाद के पहले 
छल करने वालों ने क्या सोचा है कभी 
अंगारे सुलगते हैं कहीं, आग के पहले 


देखो कोई वार पर तुरंत प्रहार करता है
कोई उचित समय का इंतजार करता है
जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र  में
इतिहास उसका भी सत्कार करता है

आपका 
शिल्पकार    

Comments :

25 टिप्पणियाँ to “हमने लगाना चाहा मुहब्बत का शजर!!”
Amrendra Nath Tripathi ने कहा…
on 

देखो कोई वार पर तुरंत प्रहार करता है
कोई उचित समय का इंतजार करता है
जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र में
इतिहास उसका भी सत्कार करता है |
.
---- लेकित कुछ तटस्थताओं को अपराध भी माना गया है ,,
दिनकर --- '' जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध '' !
सुन्दर कविता ! आभार ,,,

Khushdeep Sehgal ने कहा…
on 

देखो कोई वार पर तुरंत प्रहार करता है,
कोई उचित समय का इंतजार करता है,
जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र में,
इतिहास उसका भी सत्कार करता है...

आ देखे ज़रा, किसमें कितना है दम,
जम के रखना कदम, मेरे साथिया...

जय हिंद...

राजीव तनेजा ने कहा…
on 

कसी हुई सशक्त कविता

Unknown ने कहा…
on 

"जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र में
इतिहास उसका भी सत्कार करता है"

बहुत अच्छे!

Unknown ने कहा…
on 

बहुत ख़ामोशी होती है तूफान के पहले
लावा पिघलता ही है फौलाद के पहले
छल करने वालों ने क्या सोचा है कभी
अंगारे सुलगते हैं कहीं, आग के पहले

बहुत बढिया गज़ल है बार बार पढने का मन करता है

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…
on 

वाह! बहुत खूब....... आपने तो निःशब्द कर दिया...

Kulwant Happy ने कहा…
on 

महाराज की जय।
हिन्दी की जय।

श्यामल सुमन ने कहा…
on 

जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र में
इतिहास उसका भी सत्कार करता है |

वाह वाह ललित भाई। बहुत सुन्दर भाव

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

बाल भवन जबलपुर ने कहा…
on 

Guru mice sudharva lo

बाल भवन जबलपुर ने कहा…
on 

http://savysachi.mypodcast.com/2010/02/Shri_Rajiv_Taneja-282601.html

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

@ गिरीश भाई,
यहां पर विज्ञापन शुल्क लगता है।
इसलिए शुल्क देकर ही विज्ञापन करें।
शुल्क तालिका के लिए सम्पर्क करे।:)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…
on 

ये मुहब्बत का शजर फूले-फले और आपको ऊर्जा प्रदान करे!

girish pankaj ने कहा…
on 

achchhi-sarthak koshish hai...

वाणी गीत ने कहा…
on 

उचित समय कर इन्तजार करता है या तुरंत प्रहार करता है ...इंसान वही जो वार का प्रतिकार करता हैं ...!!

Anil Pusadkar ने कहा…
on 

बढिया है ललित बाबू।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…
on 

छल करने वालों ने क्या सोचा है कभी
अंगारे सुलगते हैं कहीं, आग के पहले


बहुत सशक्त कविता....लेखन शैली ने विशेष छाप छोड़ी है..

ताऊ रामपुरिया ने कहा…
on 

बहुत गजब का लिखा. शुभकामनाएं.

रामराम.

Dev ने कहा…
on 

लाजवाब ....लिखा आपने

रवि कुमार, रावतभाटा ने कहा…
on 

इस बार थोड़ा ज्यादा ही गजब किये हैं...

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…
on 

bejod likhte hain aap ...!!

कडुवासच ने कहा…
on 

.... प्रभावशाली व प्रसंशनीय रचना !!!

toshi gupta ने कहा…
on 

ललित जी आप तो निःशब्द कर देते है.............आपकी कविता स्वप्नलोक से यथार्थ कि यात्रा कराती है....

kshama ने कहा…
on 

देखो कोई वार पर तुरंत प्रहार करता है
कोई उचित समय का इंतजार करता है
जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र में
इतिहास उसका भी सत्कार करता है
Kya baat hai!

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…
on 
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…
on 

तोर कल्पना शक्ति के
अउ शब्दकोष के कोई सानी नई ये
तेखर पाय के मोरो मन मा भाव आईस;
जो खड़ा है साक्षी बनकर रणक्षेत्र में
इतिहास उसका भी सत्कार करता है |
इन शब्दों के श्रृंगार को देख
ललित भाई का शब्द चयन
हममे उर्जा का संचार करता है

 

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