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रफ़्तार
स्वागत है आपका

गुगल बाबा

इंडी ब्लागर

 

एक बार आने का समय बता दे.!!!!!!!!!

मुझे मालुम है
चुपके से तुम्हे 
आना है एक दिन
तोडना है तुम्हे 
मेरे मधुर स्वप्न को
भग्न करना है तुम्हे 
मेरे बांधे हुए 
मंसूबों को
मुझे मालूम है 
तुम तो आओगी ही 
पाषाण ह्रदय 
हाँ! तुम हो
पाषाण ह्रदय
निर्दयी, कठोर 
क्या तू ये नहीं कर सकती 
कि तू आती ही नहीं
अगर तुझे आना ही है
तो सिर्फ इतना कर देना 
जो जहाँ से जाने से पहले
मैं कर लूँ अपने मन कि
दुनिया से नाता 
तोड़ने से पहले 
मैं कर लूँ अपने मन की 
मैं आरजू पूरी कर लूँ अपनी
फिर तेरा स्वागत है
एक बार आने का 
समय बता दे.


आपका
शिल्पकार
 


Comments :

9 टिप्पणियाँ to “एक बार आने का समय बता दे.!!!!!!!!!”
Gyan Darpan ने कहा…
on 

वाह ! बहुत खूब !!

Unknown ने कहा…
on 

"पाषाण ह्रदय
हाँ! तुम हो
पाषाण ह्रदय
निर्दयी, कठोर"


तुम्हारी उपेक्षा के बाद भी ...
तुम्हारे साथ की अपेक्षा
...
कभी तुम्हें भूलने के लिए ...
तो कभी तुम्हें याद करने के लिए ...
पीना ...
और केवल घुट घुट कर ...
जीना ...
सिर्फ यही दीवानापन ...
बन गया है मेरा जीवन ...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…
on 

कि तू आती ही नहीं

अगर तुझे आना ही है

तो सिर्फ इतना कर देना

जो जहाँ से जाने से पहले

मैं कर लूँ अपने मन कि

दुनिया से नाता

तोड़ने से पहले

मैं कर लूँ अपने मन की

बहुत खूब ललित जी, दिल की गहराइयों से निकले भाव है !

निर्मला कपिला ने कहा…
on 

"पाषाण ह्रदय
हाँ! तुम हो
पाषाण ह्रदय
निर्दयी, कठोर"
वाह एक तरफा फैसला? बहुत अच्छी रचना है शुभकामनायें

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…
on 

बहुत ही साहसिक सोच है आपकी।
------------------
अदभुत है मानव शरीर।
गोमुख नहीं रहेगा, तो गंगा कहाँ बचेगी ?

Kusum Thakur ने कहा…
on 

अच्छी अभिव्यक्ति , बधाई !

राज भाटिय़ा ने कहा…
on 

तुम तो आओगी ही
पाषाण ह्रदय
हाँ! तुम हो
पाषाण ह्रदय
निर्दयी, कठोर
बहुत् सुंदर कविता भावो से भरपुर.
धन्यवाद

वाणी गीत ने कहा…
on 

पाषाण ह्रदय कठोर ...कोई प्रेयसी तो नहीं रही होगी ...
एक बार आने का समय बता दे ...
शायद यह आह्वान मृत्यु से किया जा रहा है ....!!

ब्लॉ.ललित शर्मा ने कहा…
on 

वाणी गीत जी आपने बिलकुल सही पकड़ा, ये आह्वान मृत्यु के लिए ही है। आभार

 

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