tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post6630503933705369121..comments2023-10-04T12:55:32.845+05:30Comments on शिल्पकार के मुख से: हे शिल्पकार!!! तेरी पीड़ा मेरी पीड़ा हैब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-50631567522587290672009-10-11T11:05:28.438+05:302009-10-11T11:05:28.438+05:30अक्षरों से आपने भी हालात का सच्चा-चित्र बना कर बेह...अक्षरों से आपने भी हालात का सच्चा-चित्र बना कर बेहतरीन शिल्पकार होने का सबूत दिया है।<br />आभार अनील भैयाब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-50469766229326730602009-10-11T11:00:03.616+05:302009-10-11T11:00:03.616+05:30अक्षरों से आपने भी हालात का सच्चा-चित्र बना कर बेह...अक्षरों से आपने भी हालात का सच्चा-चित्र बना कर बेहतरीन शिल्पकार होने का सबूत दिया है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-20035188529678957962009-10-11T09:40:31.628+05:302009-10-11T09:40:31.628+05:30धन्यवाद देव जी,आपको कविता मे शिल्पकार की पीड़ा से प...धन्यवाद देव जी,आपको कविता मे शिल्पकार की पीड़ा से पहचान हुई,आभार,ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-81882592567383161372009-10-11T09:39:00.319+05:302009-10-11T09:39:00.319+05:30धन्यवाद सुनील भाई,आभारधन्यवाद सुनील भाई,आभारब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-85586075077359732262009-10-11T09:35:54.338+05:302009-10-11T09:35:54.338+05:30bahut badhiya rachana, parmparagat shilpkaron ke d...bahut badhiya rachana, parmparagat shilpkaron ke dard-dukh-evm pida ko samrpit,aabhar,टिपौती लाल "झारखण्डी"https://www.blogger.com/profile/06610656246448854909noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-41331313855976246172009-10-11T09:34:02.259+05:302009-10-11T09:34:02.259+05:30जब तेरे घर में चूल्हा जलता है
तभी पेट भर मैं भी खा...जब तेरे घर में चूल्हा जलता है<br />तभी पेट भर मैं भी खाता हूँ।<br />जब खो जाता हूँ पीड़ा की गहराई में,<br />तो भूखे पेट ही सो जाता हूँ।<br /><br />बहुत सुन्दर ललित भाई, दर्द को स्वयं ही महसुस करना पड़ता है और कठिनाईयों से लड़ना पड़ता है<br />शुभकामनाएँखोटा सिक्काhttps://www.blogger.com/profile/12180135119799973010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-13340578131202868282009-10-11T09:34:01.547+05:302009-10-11T09:34:01.547+05:30जब तेरे घर में चूल्हा जलता है
तभी पेट भर मैं भी खा...जब तेरे घर में चूल्हा जलता है<br />तभी पेट भर मैं भी खाता हूँ।<br />जब खो जाता हूँ पीड़ा की गहराई में,<br />तो भूखे पेट ही सो जाता हूँ।<br /><br />बहुत सुन्दर ललित भाई, दर्द को स्वयं ही महसुस करना पड़ता है और कठिनाईयों से लड़ना पड़ता है<br />शुभकामनाएँखोटा सिक्काhttps://www.blogger.com/profile/12180135119799973010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-80109504861068563992009-10-11T09:16:19.477+05:302009-10-11T09:16:19.477+05:30धन्यवाद भाई वर्मा जी,आपको मेरी शुभकामनाएँ,धन्यवाद भाई वर्मा जी,आपको मेरी शुभकामनाएँ,ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-13711524992880308612009-10-11T09:15:16.994+05:302009-10-11T09:15:16.994+05:30धन्यवाद समीर भाई,स्नेह बनाये रखें,आज भी परम्परागत ...धन्यवाद समीर भाई,स्नेह बनाये रखें,आज भी परम्परागत शिल्पकार जिन्दगी के झँझावातों से ही जुझ रहा है। परम्परागत कार्यों को मशीनों से करने के कारण इनका रोजगार भी हाथों से निकल गया है,ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-11371975179165825812009-10-11T08:45:53.877+05:302009-10-11T08:45:53.877+05:30जब तेरे घर में चूल्हा जलता है...जब तेरे घर में चूल्हा जलता है<br />तभी पेट भर मैं भी खाता हूँ।<br />जब खो जाता हूँ पीड़ा की गहराई में,<br />तो भूखे पेट ही सो जाता हूँ।<br /><br />--एक जबरदस्त उम्दा रचना!! बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-45657593379946432352009-10-11T08:28:44.198+05:302009-10-11T08:28:44.198+05:30तुने प्राण भरे हैं पाषाणों में,
मैं अक्षरों ...तुने प्राण भरे हैं पाषाणों में,<br />मैं अक्षरों में नवजीवन पाता हूँ।<br />सृजन की यही कहानी है. हर सृजनकर्ता शिल्पकार है.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com