tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post5449884938761241268..comments2023-10-04T12:55:32.845+05:30Comments on शिल्पकार के मुख से: जरा ये कविता भी पढ़ कर देखें!!!ब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-553000948611293412010-01-05T23:24:22.176+05:302010-01-05T23:24:22.176+05:30ललित जी आनंद आ गया
मुझे तो समझ में भी आई पसंद भी
...ललित जी आनंद आ गया<br />मुझे तो समझ में भी आई पसंद भी<br />सुकुल जी<br />कविता में मेकेनिज्म के पारखी<br />सिद्ध होते भये<br />ढन टेणन ....ढन........ढनबाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-24812995901130085602010-01-05T18:29:15.921+05:302010-01-05T18:29:15.921+05:30Wah..! Chitr aur rachna dono behad sundar hain! Me...Wah..! Chitr aur rachna dono behad sundar hain! Mere paas alfaaz nahee..kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-70481618470005754802010-01-05T11:50:25.491+05:302010-01-05T11:50:25.491+05:30आपके शब्द इतने अच्छे लगे कि न केवल सुलभ भाई का शुक...आपके शब्द इतने अच्छे लगे कि न केवल सुलभ भाई का शुक्रिया अदा किया बल्कि आपके ब्लॉग को पसंद कि सूची में डाल दिया है...शुक्रिया और बधाई...!प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-36124709978319398532010-01-05T08:32:55.023+05:302010-01-05T08:32:55.023+05:30आपकी ढाई लाईनें पढ के तो मुझे कुछ कुछ ऐसा याद आ गय...आपकी ढाई लाईनें पढ के तो मुझे कुछ कुछ ऐसा याद आ गया ,<br />ढाई आखर प्रेम के पढे सो.....<br /><br />अद्भुत, कम शब्दों में बहुत कह देने की कला सबको नहीं आतीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-9644175077782895902010-01-05T08:16:51.441+05:302010-01-05T08:16:51.441+05:30@ काजल जी
" चाँद का मुँह टेढ़ा है.." बड़...@ काजल जी<br />" चाँद का मुँह टेढ़ा है.." बड़ी कविता इसलिए है कि जिन्दगी की जटिलता छोटे में नहीं समाती। हाँ, वैसा रचने के लिए बहुत बहुत बड़ा दिल चाहिए।<br />_______________________<br /><br />ललित जी, मुझे याद आ रहा है कभी कहा था..आप पहले हैं जिसने अपने को शिल्पकार घोषित किया है। उस एक वाक्य में अनगिनत आशाएँ निहित थीं। आप ने उन्हें सिद्ध कर दिया है।<br />इस कविता के बिम्ब और अर्थवत्ता पर अशब्द हूँ " अर्थ अमित अति आखर थोरे"। ब्लॉगरी की दुनिया में जहाँ ऐसी कविता पर 'दरवाजे के ऑटोमेटिक' होने की बात होती हो, आप को 'डूबता हुआ' जोड़ने की जरूरत थी वर्ना एक शिल्पी की कविता में सिर्फ 'वो सूरज था' होना ही पर्याप्त होता। पर्याप्त ही नहीं प्रभाव में और गहन हो जाता। ... प्रशंसक की बात पर गौर फरमाइएगा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-24132094436677555022010-01-04T21:58:36.734+05:302010-01-04T21:58:36.734+05:30हाँ
डूबते सूरज के जाते ही
अच्छे-अच्छे किवाड़ बंद क...हाँ<br />डूबते सूरज के जाते ही<br />अच्छे-अच्छे किवाड़ बंद कर लेते हैं<br />कोई नहीं कहता<br />आ बैठ<br />दो पल बात करेंगे।<br /><br />--अच्छी कविता के लिए बधाई।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-72885927385640439352010-01-04T21:07:07.670+05:302010-01-04T21:07:07.670+05:30सुंदर छोटी सी कविता... अच्छा लगा ललित भाई आप अच्छा...सुंदर छोटी सी कविता... अच्छा लगा ललित भाई आप अच्छा लिख रहे हो.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10509112011485678782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-23596540723382482010-01-04T16:18:22.119+05:302010-01-04T16:18:22.119+05:30सुन्दर! किवाड़े एट्टोमैटिक वाले हैं लगता है।सुन्दर! किवाड़े एट्टोमैटिक वाले हैं लगता है।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-30856424987017521382010-01-04T15:01:45.771+05:302010-01-04T15:01:45.771+05:30वाह क्या चित्र है, और बहुत खूब छोटी कविता है...
आज...वाह क्या चित्र है, और बहुत खूब छोटी कविता है...<br />आज ठण्ड बहुत है.. मैं भी एक छोटी सी कविता लिख पोस्ट कर देता हूँ.<br /><br />धन्यवाद आपका, प्रेरणा आप से मिल ही गयी.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-22026015304899776512010-01-04T10:55:05.907+05:302010-01-04T10:55:05.907+05:30बहुत बढिया जी, इसका शीर्षक होना चाहिये " ढाई ...बहुत बढिया जी, इसका शीर्षक होना चाहिये " ढाई आखर की कविता"<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-66827148820569026362010-01-04T08:28:46.990+05:302010-01-04T08:28:46.990+05:30डूबता हुआ सूरज
बैलगाड़ी पर घर लौटते बच्चे
ढ़ाई लाइ...डूबता हुआ सूरज<br />बैलगाड़ी पर घर लौटते बच्चे<br />ढ़ाई लाइन की कविता<br />दृश्य बहुत अच्छेमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-8453838662003651362010-01-03T23:00:41.696+05:302010-01-03T23:00:41.696+05:30ढाई लाइन का कमाल..एक खूबसूरत भाव..रेकॉर्ड बना दिए ...ढाई लाइन का कमाल..एक खूबसूरत भाव..रेकॉर्ड बना दिए आप तो..बधाई!!विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-81585017664620569152010-01-03T21:43:14.826+05:302010-01-03T21:43:14.826+05:30ढाई लाइनें बढ़िया हैं....ढाई लाइनें बढ़िया हैं....pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-38275419483449615712010-01-03T21:19:40.637+05:302010-01-03T21:19:40.637+05:30ढाई पंक्तियों में जगत आ समाया है/ढाई पंक्तियों में जगत आ समाया है/Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-15758167520604475052010-01-03T20:50:53.422+05:302010-01-03T20:50:53.422+05:30अद्भुत मिश्रण है..सुन्दर कविता..और सुन्दर तस्वीर क...अद्भुत मिश्रण है..सुन्दर कविता..और सुन्दर तस्वीर का , लाजवाब !सुरेश शर्मा . कार्टूनिस्टhttps://www.blogger.com/profile/01408227845041416401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-72246436827080088052010-01-03T20:48:47.363+05:302010-01-03T20:48:47.363+05:30बहुत सुन्दर शब्द चित्र है।बधाई।बहुत सुन्दर शब्द चित्र है।बधाई।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-77185757746015139822010-01-03T20:31:22.120+05:302010-01-03T20:31:22.120+05:30ढाई पंक्ति की कविता को मेरी ओर से पाँच सिताराढाई पंक्ति की कविता को मेरी ओर से पाँच सिताराKulwant Happyhttps://www.blogger.com/profile/04322255840764168300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-86182583532002996882010-01-03T19:50:55.623+05:302010-01-03T19:50:55.623+05:30बढ़िया।बढ़िया।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-79040960355223676382010-01-03T19:48:19.443+05:302010-01-03T19:48:19.443+05:30एक यथार्थ
बी एस पाबलाएक यथार्थ<br /><br /><a href="http://www.google.com/profiles/bspabla" rel="nofollow"> बी एस पाबला</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-42012854235758223892010-01-03T18:50:51.095+05:302010-01-03T18:50:51.095+05:30द्विपदम - त्रिपदम कविता भी किसी महकाव्य से कम नही ...द्विपदम - त्रिपदम कविता भी किसी महकाव्य से कम नही होती, बडे भाई. <br />सुन्दर कविता के लिये धन्यवाद.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-67045843582008440122010-01-03T18:50:47.831+05:302010-01-03T18:50:47.831+05:30द्विपदम - त्रिपदम कविता भी किसी महकाव्य से कम नही ...द्विपदम - त्रिपदम कविता भी किसी महकाव्य से कम नही होती, बडे भाई. <br />सुन्दर कविता के लिये धन्यवाद.36solutionshttps://www.blogger.com/profile/03839571548915324084noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-19249435671131913802010-01-03T18:39:08.297+05:302010-01-03T18:39:08.297+05:30बहुत सुन्दर चित्रों से सुसज्जित कविता.........बहुत सुन्दर चित्रों से सुसज्जित कविता.........Pt. D.K. Sharma "Vatsa"https://www.blogger.com/profile/05459197901771493896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-35115854466697796722010-01-03T18:05:47.813+05:302010-01-03T18:05:47.813+05:30भावों की अभिव्यक्ति ही तो है कविता! जितने कम शब्दो...भावों की अभिव्यक्ति ही तो है कविता! जितने कम शब्दों में अधिक से अधिक भावों की अभिव्यक्ति हो उतनी ही सुन्दर कविता होगी।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-44974152273065695942010-01-03T18:01:09.057+05:302010-01-03T18:01:09.057+05:30कविताएँ शब्दों से नही बड़ी होती है भावों से बड़ी होत...कविताएँ शब्दों से नही बड़ी होती है भावों से बड़ी होती है.<br /><br />आपकी कविता बहुत बड़ी हैM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-65032116125422647112010-01-03T17:58:02.241+05:302010-01-03T17:58:02.241+05:30ये हुई न बात.
'चांद का मुंह टेढ़ा है' पढ़...ये हुई न बात. <br />'चांद का मुंह टेढ़ा है' पढ़ी थी एम0ए0 में, बड़े लोगों की कविताएं बड़ी होती हैं. हम-आप इस काबिल हैं हीं नहीं ... इतने में काम चला लेते हैं बुलेट के माफ़िक :) ठां.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.com