tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post3001183803414090322..comments2023-10-04T12:55:32.845+05:30Comments on शिल्पकार के मुख से: अतृप्ति को स्वीकार करो--एक कविता---ललित शर्माब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-15430533253421695992012-02-23T14:38:59.548+05:302012-02-23T14:38:59.548+05:30कहीं पढ़ी पंक्तियां याद आ रही हैं-
''फिर ए...कहीं पढ़ी पंक्तियां याद आ रही हैं-<br />''फिर एक बार और जाल फेंक रे मछेरे,<br />जाने किस मछली में फंसने की चाह हो,<br />चंद्रमा के इर्द-गिर्द बादलों के घेरे,<br />ऐसे में क्यों न कोई मौसमी गुनाह हो.''Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-74290566357959036602010-08-05T21:30:18.705+05:302010-08-05T21:30:18.705+05:30बहुत गहरी अभिव्यक्ति.
रामराम.बहुत गहरी अभिव्यक्ति.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-39842005733952547942010-08-05T15:54:32.839+05:302010-08-05T15:54:32.839+05:30बडी ही सटीक बात कह दी.....अतृप्तता मे ही तृप्तता छ...बडी ही सटीक बात कह दी.....अतृप्तता मे ही तृप्तता छुपी है.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-5208259020598722972010-08-05T13:26:22.507+05:302010-08-05T13:26:22.507+05:30अगर पड़ाव को मंजिल नहीं बनाना है
तो अतृप्ति को स्व...<b>अगर पड़ाव को मंजिल नहीं बनाना है<br />तो अतृप्ति को स्वीकार करो।</b><br />बहुत सही !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-66302844303165169282010-08-05T12:25:06.577+05:302010-08-05T12:25:06.577+05:30क्यों, जीवन का अंत नहीं है?
अगर पड़ाव को मंजिल नहीं...क्यों, जीवन का अंत नहीं है?<br />अगर पड़ाव को मंजिल नहीं बनाना है<br />तो अतृप्ति को स्वीकार करो। <br />बहुत खुब ललित जी, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-37762673165305964992010-08-05T11:03:56.009+05:302010-08-05T11:03:56.009+05:30अतृप्ति ही तो जीवन है
तृप्त होकर ठहर जाना
गहन चि...अतृप्ति ही तो जीवन है<br />तृप्त होकर ठहर जाना<br /><br />गहन चिंतन ...सटीक और सार्थक....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com