tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post2833838642145939006..comments2023-10-04T12:55:32.845+05:30Comments on शिल्पकार के मुख से: कवि रामेश्वर शर्मा की एक कविता---अंधाब्लॉ.ललित शर्माhttp://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-89356144592685953122010-08-06T12:31:47.830+05:302010-08-06T12:31:47.830+05:30कवि रामेश्वर शर्मा जी की कविता बहुत अच्छी लगी। यहा...कवि रामेश्वर शर्मा जी की कविता बहुत अच्छी लगी। यहाँ पढ़वाने के लिये आभार।सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-74527670607837487172010-07-29T05:04:28.089+05:302010-07-29T05:04:28.089+05:30बहुत अच्छी लगी ये रचना !!बहुत अच्छी लगी ये रचना !!राम त्यागीhttps://www.blogger.com/profile/05351604129972671967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-3428231380121584432010-07-26T14:02:42.794+05:302010-07-26T14:02:42.794+05:30एक अंधा
एक हाथ कटोरा
एक हाथ डंडा
भूख से धंसा पेट
क...एक अंधा<br />एक हाथ कटोरा<br />एक हाथ डंडा<br />भूख से धंसा पेट<br />कहता दे दाता<br />करता गुहार<br />वहां से गुजरता<br />हर व्यक्ति<br />अनदेखा बन<br />चल पड़ता है<br />अंधों की तरह<br />वाह रे!<br />अंधे की दुनिया<br /><br /><br />क्या शानदार लिखा कविता है.<br />धन्यवाद ........<br />मेरी कविता भी खो गई है<br /><br />खो गई है, मेरी कविता<br />पिछले दो दशको से.<br />वह देखने में, जनपक्षीय है<br />कंटीला चेहरा है उसका<br />जो चुभता है, शोषको को.<br />गठीला बदन, हैसियत रखता है<br />प्रतिरोध की.<br />उसका रंग लाल है<br />वह गई थी मांगने हक़,<br />गरीबों का.<br />फिर वापस नहीं लौटी,<br />आज तक.सुमन कुमारhttps://www.blogger.com/profile/13372936491226917291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-57955488161641897832010-07-23T17:00:57.463+05:302010-07-23T17:00:57.463+05:30रामेश्वर शर्मा की कविता बहुत ही शानदार है....
हर व...रामेश्वर शर्मा की कविता बहुत ही शानदार है....<br />हर व्यक्ति<br />अनदेखा बन<br />चल पड़ता है<br />अंधों की तरह<br />वाह रे!<br />******<br />बैठा सिंहासन पर<br />लाज द्रौपदी की<br />लुटवा रहा है<br />कृष्ण को उलझा रहा है<br />कि यह कथन<br />कितना सच होगा<br />उस अंधे से<br />यह अंधा अच्छा होगा।<br />वाह वाह......!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-92092816011025198792010-07-21T16:59:07.459+05:302010-07-21T16:59:07.459+05:30अंधेपन के बहाने जीवन की विद्रूपताओं का सुंदर चित्र...अंधेपन के बहाने जीवन की विद्रूपताओं का सुंदर चित्रण किया है।<br />………….<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">संसार की सबसे सुंदर आँखें।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">बड़े-बड़े ब्लॉगर छक गये इस बार।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-92225585691568250542010-07-12T10:37:28.417+05:302010-07-12T10:37:28.417+05:30बहुत अच्छी लगी रामेशव्र जी की रचना। बधाई।बहुत अच्छी लगी रामेशव्र जी की रचना। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-86538512918383445592010-07-11T18:54:17.132+05:302010-07-11T18:54:17.132+05:30रामेश्वर जी की रचना अच्छी लगी...
झाड फूंक खुद ह...रामेश्वर जी की रचना अच्छी लगी...<br /><br />झाड फूंक खुद ही करिये ..कविता अपने आप बहेगी..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-78639408383162706292010-07-11T14:40:18.513+05:302010-07-11T14:40:18.513+05:30बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता,बहुत सुंदर लगी आप की यह कविता,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-44138436997936793062010-07-11T11:07:01.341+05:302010-07-11T11:07:01.341+05:30@गिरिजेश राव
पता नहीं क्यों गिरिजेश भाई विगत मार्...@गिरिजेश राव<br /><br />पता नहीं क्यों गिरिजेश भाई विगत मार्च के बाद कुछ लिखने का दिल ही नहीं किया है।<br /><br />शायद कुछ काला जादु किसी ने कर दिया है:)<br />अगर कोई जानकार बैगा हो तो बताना।<br />झाड़ फ़ूंक करवानी है।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-82204495597190475102010-07-11T09:13:41.158+05:302010-07-11T09:13:41.158+05:30मुझे 'आप की कलम के अक्षर' पढ़ने में अधिक त...मुझे 'आप की कलम के अक्षर' पढ़ने में अधिक तृप्ति देते हैं आर्य !गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-54019532979546214092010-07-11T07:18:41.238+05:302010-07-11T07:18:41.238+05:30अंधे भिखारी को अनदेखा कर आगे बढ़ने वाले क्या वाकई ...अंधे भिखारी को अनदेखा कर आगे बढ़ने वाले क्या वाकई अंधे होते हैं?<br />— [1] हाँ, वे अंधे ही तो हैं जो उनके हाथ का कटोरा नहीं देखते.<br />— [2] नहीं, वे अधिक सजग होते हैं, इसलिए अनदेखा कर आगे बढ़ते हैं.<br />— [3] हाँ, वे आँख से बेशक अंधे न हों, लेकिन संवेदना से पूरी तरह अंधे होते हैं. <br />— [4] वे थोड़े अंधे थोड़े बहरे होते हैं. <br />— [5] उन्हें सुन्दर आँखें नहीं दिखती सो अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं.PRATULhttps://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4906939505333498159.post-35505054977551805152010-07-11T07:15:47.072+05:302010-07-11T07:15:47.072+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.PRATULhttps://www.blogger.com/profile/03991585584809307469noreply@blogger.com